मुंबई। शिवसेना के पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल ने भाजपा पर अपने वादे और प्रतिबद्धता को पूरा न करने का आरोप लगाया है. उन्होंने मंगलवार को कहा कि अगर उन्हें 15 दिन में राज्यपाल नहीं बनाया गया तो वे पूर्व भाजपा सांसद नवनीत राणा के जाति प्रमाण पत्र से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अप्रैल में राणा के जाति प्रमाण पत्र को वैध माना था.

2019 में, राणा ने एनसीपी समर्थित उम्मीदवार के रूप में अमरावती लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना के अडसुल को हराया था. अडसुल ने अपने जाति प्रमाण पत्र की वैधता को चुनौती दी थी. सीएम एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद, अडसुल शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए और राणा ने इस साल के लोकसभा चुनाव में अमरावती से भाजपा-महायुति के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और हार गए.

अडसुल ने कहा कि उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में लिखित रूप में राज्यपाल पद का वादा किया था. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले, भाजपा ने शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को दो केंद्रीय कैबिनेट पद और दो राज्यपाल पद देने का वादा किया था, लेकिन वह अपना वादा निभाने में विफल रही.

उन्होंने कहा कि राज्यपाल पद के लिए उनके नाम के साथ एक पत्र भी शिंदे और फडणवीस द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था और केंद्र को भेजा गया था, लेकिन उनका नाम हाल ही में केंद्र द्वारा नामित नौ नए राज्यपालों की सूची में नहीं था.

अडसुल ने कहा कि शिवसेना को केवल एक केंद्रीय राज्य मंत्री (MoS) का पद मिला है. उन्होंने कहा, “किए गए वादों को पूरा करना भाजपा की जिम्मेदारी है. मैं हमेशा इंतजार नहीं कर सकता. मैं सुप्रीम कोर्ट जाऊंगा और पूर्व सांसद नवनीत राणा के जाति प्रमाण पत्र मामले में दिए गए स्टे को चुनौती दूंगा.”

हाल ही में पुनर्गठित नीति आयोग में शिवसेना के सांसदों या उसके एकमात्र स्वतंत्र प्रभार वाले केंद्रीय राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव को जगह नहीं मिली. इसके बाद जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नौ राज्यों में राज्यपाल नियुक्त किए, जिनमें पूर्व राज्य विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा नेता हरिभाऊ बागड़े को राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया, लेकिन शिवसेना से कीसी भी वरिष्ठ पदाधिकारी नहीं चुना गया. इस घटनाक्रम के मद्देनजर अडसुल ने पहले कहा था कि उन्हें अभी भी उम्मीद है कि अगले दौर में जब और राज्यपाल नियुक्त किए जाएंगे, तो वे राज्यपाल बन जाएंगे.