बिलासपुर. साइबर ठगी के खिलाफ बिलासपुर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. 59 लाख से ज्यादा के ऑनलाइन धोखाधड़ी मामले में गिरोह के 4 आरोपियों को इंदौर से गिरफ्तार किया गया है. ठगी का मुख्य आरोपी सॉफ्टवेयर इंजीनियर निकला, जो एनआईआईटी दिल्ली से पढ़ाई किया है. आरोपियों के कब्जे से 4 नग मोबाइल, 7 नग एटीएम कार्ड, एक नग यूपीआई कार्ड, 2 नग पैन कार्ड, एकचेकबुक, दो नग पासबुक जब्त किया गया है.

बिलासपुर रेंज पुलिस महानिरीक्षक आईपीएस डॉ. संजीव शुक्ला के निर्देशन एवं एसएसपी रजनेश सिंह के मार्गदर्शन में साइबर क्राइम के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. प्रार्थिया अल्पना जैन ने धोखाधड़ी की रिपोर्ट सिविल लाइन थाने में दर्ज कराई थी. उन्होंने बताया कि आरोपियों ने डिमेट अकाउंट खुलवाकर व्यापार/शेयर में पैसे लगाकर अच्छा पैसा कमाने का झांसा देकर अलग-अलग तिथियों में विभिन्न बैंक खातों से ऑनलाइन 59,87,994 रुपए जमा कराकर ठगी कर ली. मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने जांच शुरू की. रेंज साइबर थाना बिलासपुर निरीक्षक रविशंकर तिवारी के नेतृत्व में पुलिस की विशेष टीम ने तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर महू, जिला इन्दौर, मध्यप्रदेश से 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया.

पकड़े गए आरोपी

  1. ललीत कुमार पिता सुरेन्द्र सिंह उम्र 32 वर्ष निवासी महू, इंदौर
  2. बबलू उर्फ कमलजीत सिंह चौहान पिता दिलावर सिंह चौहान उम्र 38 वर्ष निवासी महू, इंदौर
  3. अर्पित साल्वे पिता संतोश साल्वे उम्र 30 वर्ष निवासी महू, इंदौर
  4. रोहित निषाद पिता बहादुर निशाद उम्र 25 वर्ष निवासी महू, इंदौर

निवेश के नाम पर पैसा जमा कराकर की धोखाधड़ी

पुलिस की टीम ने लगातार 03 दिनों तक संदेहियों के संभावित ठिकानों पर दबिश देकर आरोपी ललीत कुमार, अर्पित साल्वे, कमलजीत सिंह चौहान एवं रोहित निशाद को गिरफ्तार किया. आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे आम लोगों को फर्जी एजेंसी गणेषम सिक्यूरिटी के नाम पर विश्वास दिलाकर ऑनलाइन निवेश/व्यापार में पैसे लगाकर अच्छा पैसा कमाने का झांसा देता था और गोल्ड में निवेश की राशि का फर्जी लाभांस दिखाकर लगातर पैसे निवेश के नाम पर जमा कराकर धोखाधड़ी करना बताया.

फर्जी वेबसाइट और एप्लीकेशन बनाकर लोगों को लगाया चूना

ठगी का मुख्य आरोपी ललीत कुमार सॉफ्टवेयर इंजीनियर निकला. वह ऑनलाइन सॉपिंग साइट में मैनेजर का काम करता था, जो महू और राउ क्षेत्र के अन्य साथियों के साथ मिलकर फर्जी वेबसाइट व एप्लीकेशन बनाकर लोगों को झांसे में लेकर ठगी का काम करता था. ठगी करने के लिए मोबाइल नम्बर व ठगी की राशि प्राप्त करने और नगदी आहरण करने बैंक खातों के लिए महू के अपने अन्य साथियों से कमिशन पर बैंक खाता लेकर ठगी का काम करता था. आरोपियों द्वारा घटना में उपयोग किए अधिकांश मोबाइल सिम व एटीएम को काम होने के बाद फेक दिया जाता था. सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर स्थानीय न्यायालय से ट्रांजिट रिमांड में लाकर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया.