कांकेर। ग्रामीण पशुपालकों की जागरूकता, गोठान समिति एवं महिला स्व-सहायता समूह की सक्रियता और जिला प्रशासन के मार्गदर्शन से कांकेर जिले के चार गौठान आत्मनिर्भर बन चुके हैं. संभवतः ये छत्तीसगढ़ के पहले गोठान है जो आत्मनिर्भर बने हैं. इन गोठानों में जितने रुपए की गोबर खरीदी की गई है, उससे ज्यादा की कमाई वर्मी कम्पोस्ट बेचकर की जा चुकी है. आत्मनिर्भर बनकर इन गोठानों ने गोधन न्याय योजना की उद्देश्यों को साकार किया है.
कांकेर विकासखण्ड के गढ़पिछवाड़ी गोठान में 21 हजार 202 रुपए से 10 हजार 601 किलोग्राम गोबर की खरीदी की गई तथा उससे 67 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया. उसे 8 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय कर 54 हजार रुपए की आमदनी प्राप्त की गई है. इसी प्रकार भावगीर नवागांव गोठान में 29 हजार 938 रुपए से 14 हजार 969 किलोग्राम गोबर खरीदा गया और उससे 60 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर 48 हजार रुपए में बेचा गया.
नरहरपुर विकासखंड के मानिकपुर गोठान में 25 हजार 596 रुपए से 12 हजार 798 किलोग्राम गोबर की खरीदी की गई तथा खरीदे गये गोबर से 90 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया गया, जिसे बेचकर 72 हजार रुपए की आमदनी प्राप्त की गई है. जिले के कोयलीबेड़ा जैसे दूरस्थ अंचल के हरनगढ़ गोठान में 1 लाख 3 हजार 970 रुपए से 51 हजार हजार 985 किलोग्राम गोबर खरीदा गया और उससे ‘दीये’ बनाकर 62 हजार रुपए में गोबर से बने दीये‘ बेचे गए, इस गोठान में 60 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट भी तैयार किया गया, जिसे 48 हजार रुपए में विक्रय किया गया है. इस प्रकार कोयलीबेड़ा विकासखण्ड के हरनगढ़ गोठान में 1 लाख 10 रुपए की आमदनी प्राप्त की गई है.
गौरतलब है कि कांकेर जिले में 197 ग्रामीण गोठानों और 6 शहरी गोठानों में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीदी की जा रही है, जिससे 4 हजार 497 पशुपालकों द्वारा 67 हजार 280 क्विंटल गोबर का विक्रय किया गया. इससे 1 करोड़ 34 लाख 56 हजार की आमदनी प्राप्त की गई है. गोधन न्याय योजना से प्राप्त राशि से पशुपालकों के जीवन खुशहाली आई है.