पुरुषोत्तम पात्र,गरियाबंद. जिले के अभनपुर से देवभोग ओडिशा सीमा तक 195 किमी सड़क निर्माण की नेशनल हाइवे 130 सी पर पूर्व बीजेपी सरकार ने घोषणा की थी. लेकिन घोषणा के 4 साल बाद भी पहली स्टेप की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी. मरम्मत के अभाव में पिछले दो साल में 22 जानलेवा हादसा इस सड़क पर हो चुका है.

नेशनल हाइवे सड़क निर्माण के लिए 1200 करोड़ के अनुमानित बजट का भी एलान कर दिया गया. उम्मीद थी कि सरकार इसी कार्यकाल में सड़क का काम पूरा करवा देगी, लेकिन हकीकत तो यह कि इसकी शुरूवाती प्रक्रिया की ओपचारिकता भी पूरी नहीं किया जा सका.

एसडीएम निर्भय साहू ने बताया कि मदंगमूडा से ओडिशा सीमा तक भू अर्जन की फाइल नेशनल हाइवे विभाग ने पूट अप किया है, लेकिन अर्जित भूमि के एवज में 80 फीसदी रकम पहले जमा कराना होता है, फिर प्रक्रिया आगे बढ़ती है. यह रुपए विभाग ने अब तक जमा नहीं कराया है. इस लिए प्रकरण यथावत है. सम्बंधित विभाग से पत्राचार भी किया गया है.

विभाग के उपयंत्री एन एस कवर ने बताया कि सरकार के निर्देश पर पहले चरण के काम के लिए मदांगमूडा से ओडिशा सीमा तक जमीन की माप की गई. मुख्य सड़क के दोनों छोर 80 फिट का माप किया गया. चिन्हाकन प्रक्रिया में 12 हेक्टयर भूमि निजी लोगों के थे जिसे अधिग्रहण के लिये भारत सरकार को भेजा गया है. वहां से इस प्रकरण के लिए मंजूरी देकर 3डी का प्रकाशन होना था जो नहीं हुआ है. निर्माण कार्य के लिए भी राशि की मंजूरी नहीं मिल सकी है.

पूर्व सरकार की घोषणा के बाद मार्च के वित्तीय शुरुवात होते ही लोकनिर्माण विभाग ने उक्त मार्ग को नेशनल हाइवे के सुपुर्द कर दिया. जिसके बाद से सड़क के मरम्मत के कार्य होना बंद हो गया. आंकड़े बताते है कि 2017 से अब तक मैनपुर के झरियाबहरा से देवभोग ओडिशा सीमा तक 22 सड़क दुर्घटना हुआ है. ज्यादातर घटना में जान गवानी पड़ी है. शनिवार को बूढ़ेगलटप्पा में हुए सड़क हादसा का कारण भी सड़क के किनारे खाई बन चुकी पटरी है. इस घटना के बाद से कांग्रेस ने बीजेपी को घेरना शूरू कर दिया है. कांग्रेस के छवि विधायक ने एन एच निर्माण में विलम्ब को , केंद्र सरकार में प्रतिनिधित्व करने वाले कि नाकामी कह कर मौजूदा बीजेपी सांसद चंदू लाल साहू को आड़े हांथो लिया है. यह भी कहा है कि इस बार जनता लोकसभा चुनाव में इसका जवाब देगी.

नेशनल हाइवे की दलील है कि न्यूनतम ट्रैफिक इसकी मंजूरी में आड़े आ रही है. विभाग ने अपने कंसल्टेंट से फरवरी 2017 में ट्रैफिक सर्वे कराया था. जिसमें 33 से 34 सौ वाहन रोजाना आवाजाही होना पाया है. यही सर्वे विभाग ने जुलाई 2018 में किया तो आवाजाही करने वाले वाहनों की संख्या 2700 पाई गई, जबकि 24 घण्टे में रोजाना 3500 वाहन कम से कम आवाजाही होने का मापदण्ड तय किया गया है. कहा जा रहा है कि जिन्हें नेता चुना गया था, वे अगर मांग करते तो नेशनल हाइवे के काम के लिये अब तक रुपए मिल जाते मरम्मत के लिए मिले.

नेशनल हाइवे रायपुर सम्भाग ने 2017 में सड़क का सर्वे कर खराब पेच के कुल 46 किमी के मरम्मत के लिये रुपए की मांग किया था. 2018 में 42.75 लाख रुपए मिला था. मार्च 2019 आने को है, लेकिन कॉन्ट्रेक्ट ने अब तक पूरे पेच के मरम्मत नहीं किया है. इंजीनियर कवर ने बताया कि ठेकेदार मरम्मत पूरा करने के बाद ही उसे खर्च की माप कर रूपए दिये जायेंगे.

हुए सभी हादसे पटरी के वजह से है. मौजूदा सड़क से दोनों किनारे बनी पटरी की खाई की गहराई आधे से एक फिट की हो गई है. इसमे मुरम डाल कर इसे लेबल पर लाया जाता है. लेकिन मरम्मत कार्य के अभाव में गहराई बढ़ते जा रहा है. जिससे बड़ी वाहन को साइड देते वक्त दुपहिया हादसे का शिकार हो रही है. छोटी कार की चेचिस भी इस गेप के कारण हादसे का शिकार हो रही है. मोड़ में इंडिकेशन नहीं है, जिसके कारण भी सड़क हादसे हो रहे हैं. कहा जा रहा है सड़क के चौड़ी करण नहीं होते तक हादसा होता रहेगा.