सुशील सलाम,कांकेर. शहर के पुराने बीटीआई भवन में संचालित होने के दौरान केन्द्रीय विद्यालय की बहुचर्चित घटना में चार साल बाद न्यायालय का फैसला आया है. जिसमें न्यायालय ने आरोपी चपरासी को आठ साल के बालक से अप्रातिक कृत्य का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और दो हजार रूपए अर्थदण्ड से दण्डित किया है.

दरअसल अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में दर्ज प्रकरण के अनुसार 20 अगस्त 2015 को केन्द्रीय विद्यालय में वहां अध्ययनरत आठ वर्ष के बालक से अप्राकृतिक कृत्य किये जाने की घटना उजागर हुई थी. आरोपी चपरासी ने स्कूल परिसर में ही पीड़ित बालक को डरा धमकाकर उसके साथ अप्राकृतिक कृत्य की घटना को अंजाम दे रहा था. इस मामले में पुलिस ने चपरासी मोहपुर निवासी इन्द्रजीत ठाकुर पिता बुधार सिंह ठाकुर 35 वर्ष को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ भादवि की धारा 377, 511, 506 बी तथा पाक्सो एक्ट के तहत जुर्म पंजीबद्ध कर आरोपी को दो दिनों बाद गिरफ्तार कर लिया जहां से न्यायालय में पेश किया गया.

न्यायालय में 24 लोगों के कथन लिये गये. गवाहों के कथन एवं परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर विशेष न्यायाधीश एफटीसी प्रशांत शिवहरे ने आरोपी को दोष सिद्ध पाते हुए धारा 506 बी के तहत 7 वर्ष कारावास तथा 1 हजार रूपये अर्थदण्ड वहीं पाक्सो एक्ट की धारा के तहत आजीवन कारावास एवं 1 हजार रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया. दोनों सजाएं साथ साथ चलेंगी. वहीं पीड़ित बालक को क्षतिपूर्ति राशि दिलाए जाने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को सहायता राशि प्रदाय करने आदेशित किया. शासन की ओर से मामले की पैरवी शासकीय अधिवक्ता संदीप श्रीवास्तव ने की.