धार्मिक ज्ञान: हिंदू पंचांग के अनुसार चौथा महीना आषाढ़ का होता है. 22 जून दिन शनिवार से आषाढ़ मास प्रारंभ हो गया है. इस मास का नाम पूर्वाषाढ़ और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के ऊपर रखा गया इसलिए इस महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा इन्हीं दो नक्षत्र में रहते हैं. आषाढ़ माह में देवशयनी एकादशी, चातुर्मास प्रारंभ, गुप्त नवरात्रि, गुरु पूर्णिमा जैसे कई प्रमुख त्योहार आएंगे. यह माह ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस माह में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और चातुर्मास भी प्रारंभ हो रहा है. आइए आपको बताते हैं आषाढ़ माह में क्या करें और क्या न करें.
आषाढ़ मास में क्या करें
- आषाढ़ मास में हर रोज ब्रह्म मुहूर्त में उठकर तुलसी की पूजा करें और मंत्र का जप करें.
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ रामदूताय नमः, ॐ क्रीं कृष्णाय नमः और ॐ रां रामाय नमः मंत्रों का जप करें.
- हर रोज सूर्यदेव को अर्घ्य दें और आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें.
- इस माह में भगवान विष्णु मां लक्ष्मी, भगवान शिव माता पार्वती, सूर्यदेव की पूजा करने का विधान है.
- आषाढ़ मास में दान, यज्ञ, व्रत, देव पूजा, पितृ पूजा करने से भाग्य खुलता है और सुखों की प्राप्ति होती है.
- गरीब व जरुरतमंद लोगों की मदद करें और धन, कपड़ा, छाता, जल, अनाज आदि का दान करना चाहिए.
- आषाढ़ मास में तीर्थयात्रा करने का विशेष महत्व है. ऐसा करने से शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है.
- 22 जून से आषाढ़ मास प्रारंभ हो कर 21 जुलाई को समाप्त हो रहा है, इसके बाद सावन मास की शुरुआत होगी.
आषाढ़ मास में क्या न करें
- आषाढ़ मास में बैगन, मसूर दाल, गोभी, लहसुन, प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए.
- इस माह में मांस-मछली, शराब, अन्य नशीले पदार्थ और अनैतिक कृत्यों से दूर रहें
- इस दौरान पत्तेदार सब्जी, हरी सब्जियां बिल्कुल नहीं खाना चाहिए और तेल वाली चीजों से बचना चाहिए.
- इस मास में क्रोध, अहंकार, घमंड आदि चीजों से दूर रहें.
- इस मास में किसी को अपमान ना करें और अपशब्द ना बोलें. साथ ही घर पर आए किसी व्यक्ति खाली हाथ ना लौटाएं.
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