रायपुर- मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के जिन गांवों, वन क्षेत्रों और वनवासी बंधुओं को आजादी के बाद से अब तक अंधेरे में जीवन बिताना पड़ा, उनके यहां बिजली पहुंच रही है। उनके लिए इससे बड़े त्यौहार और इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है ? प्रधानमंत्री सहज बिजली-हर घर (सौभाग्य) योजना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा-प्रधानमंत्री इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ के आठ लाख से ज्यादा घरों में बिजली पहुंचा रहे हैं। इन घरों में रहने वाले परिवारों के लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है ? मुख्यमंत्री आज विधानसभा में चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए राज्य सरकार के चौथे अनुपूरक बजट की मांगों पर सदन में हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। पक्ष और विपक्ष में गहन विचार-विमर्श के बाद सदन में चौथा अनुपूरक बजट ध्वनिमत से पारित कर दिया गया, जिसमें एक हजार 412 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इसे मिलाकर राज्य शासन के चालू वित्तीय वर्ष के मुख्य बजट का आकार 80 हजार 959 करोड़ रूपए से बढ़कर 88 हजार 599 करोड़ रूपए हो गया है। आज पारित चौथे अनुपूरक में 160 करोड़ रूपए का पंजीगत व्यय और 1252 करोड़ रूपए का राजस्व व्यय शामिल है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए 800 करोड़ का प्रावधान
वित्त विभाग की कमान संभाल रहे मुख्यमंत्री ने सदन को चौथे अनुपूरक के विभिन्न प्रावधानों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 तक आवास विहीन परिवारों को पक्का मकान दिलाने के लिए कुल आठ हजार 568 करोड़ रूपए की जरूरत होगी। इसमें पांच हजार 141 करोड़ रूपए केन्द्र का अंशदान और तीन हजार 427 करोड़ रूपए राज्यांश होगा। इस राशि से प्रदेश में वर्ष 2019 तक छह लाख 88 हजार ग्रामीण परिवारों को पक्के मकान दिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा-छत्तीसगढ़ के गांवों में रहने वाले गरीबों को मकान उपलब्ध कराने के लिए पहली बार इतनी बड़ी राशि मिल रही है। आज पारित चौथे अनुपूरक में इस योजना के तहत 800 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत केन्द्र सरकार के निर्धारित मापदण्डों के अनुसार अगले पांच साल तक प्रदेश में आवास विहीन परिवारों और एक कमरे वाले, कच्ची छत और कच्ची दीवार वाले परिवार वालों में से ही हितग्राहियों का चयन किया जाएगा। ग्राम सभाओं के सत्यापन के बाद राज्य में इस योजना के लिए नौ लाख 93 हजार परिवारों को पात्र पाया गया है। डॉ. सिंह ने कहा-छत्तीसगढ़ सरकार में इस योजना के क्रियान्वयन की ताकत है और हम इसे करके दिखाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 के राज्य के मुख्य बजट में दो हजार 841 करोड़ रूपए और तीसरे अनुपूरक बजट में 384 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया था। इस योजना के तहत प्रदेश में अब तक दो लाख 43 हजार 500 परिवारों के मकानों का निर्माण पूरा हो गया है और एक लाख 81 हजार मकानों का निर्माण प्रगति पर है।
मनरेगा में ग्रामीणों को मिला 828 लाख मानव दिवस का रोजगार
डॉ. सिंह ने सदन को यह भी बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत गांवों में 100 दिनों का रोजगार पूर्ण करने वाले हितग्राहियों को राज्य शासन द्वारा स्वयं के संसाधनों से 50 अतिरिक्त दिनों का रोजगार वर्ष 2013-14 से दिया जा रहा है। चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के मुख्य बजट में इस योजना के तहत एक हजार 202 करोड़ रूपए और तृतीय अनुपूरक में 85 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया था। इस राशि से अब तक ग्रामीणों को 828 लाख से ज्यादा मानव दिवस का रोजगार दिया जा चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य की 96 तहसीलों में इस वर्ष सूखे की स्थिति को देखते हुए ग्रामीणों की मांग के अनुसार उन्हें रोजगार देने के लिए इस योजना के तहत चौथे अनुपूरक बजट में 50 करोड़ रूपए का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है।
सौभाग्य योजना: प्रदेश के 8.38 लाख घरों को वर्ष 2019 तक बिजली
मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि प्रधानमंत्री सहज बिजली-हर घर (सौभाग्य) योजना के तहत छत्तीसगढ़ में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आठ लाख 38 हजार घरों में मार्च 2019 तक ग्रिड और ऑफ ग्रिड प्रणाली के जरिए बिजली का कनेक्शन देने का लक्ष्य है। इनमें से सात लाख 93 हजार घरों में ग्रिड के जरिए और 45 हजार घरों में ऑफ ग्रिड अर्थात सौर ऊर्जा प्रणाली से बिजली दी जाएगी। डॉ. सिंह ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना का उल्लेख करते हुए कहा-प्रधानमंत्री जब आठ लाख से ज्यादा घरों में बिजली पहुंचा रहे हैं, तो ऐसे परिवारों के लिए इससे बड़ा त्यौहार और इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है ? प्रधानमंत्री सहज बिजली-हर घर (सौभाग्य) योजना के लिए हमने चौथे अनुपूरक में 25 करोड़ रूपए की मांग की है। उन्होंने राज्य शासन द्वारा माह दिसम्बर 2017 में मनाए गए बिजली तिहार का भी उल्लेख किया। डॉ. सिंह ने कहा कि जिन गांवों, वन क्षेत्रों और वनवासी बंधुओं को आजादी के बाद से अब तक अंधेरे में जीवन बिताना पड़ा उनके यहां बिजली पहुंचने की खुशी स्वभाविक ही है। इस योजना पर लगभग 834 करोड़ रूपए का व्यय संभावित है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में जहां ग्रिड लाइन नहीं है, वहां सौर ऊर्जा के जरिए बिजली का कनेक्शन देने के लिए चौथे अनुपूरक बजट में 25 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
सौर सुजला योजना: इस वर्ष 25 हजार सोलर सिंचाई पम्प स्थापना का लक्ष्य
सौर सुजला योजना का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि राज्य सरकार ने अपनी इस योजना के तहत तीन वर्ष में 51 हजार किसानों के खेतों में सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई पम्प स्थापना का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2016-17 में 12 हजार सौर सुजला पम्पों की स्थापना हो चुकी है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 में 25 हजार पम्पों की स्थापना का लक्ष्य है, जिस पर एक हजार 791 करोड़ रूपए की लागत आएगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए चौथे अनुपूरक बजट में नाबार्ड मद से 106 करोड़ 20 लाख रूपए का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है।
राज्य में 912 करोड़ की रूर्बन मिशन परियोजना
उन्होंने सदन को यह भी बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन की शुरूआत फरवरी 2016 में छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ (जिला राजनांदगांव) से की गई थी। इस योजना में गैर जनजातीय और जनजातीय क्लस्टर लिए गए हैं। मैदानी क्षेत्रों के अंतर्गत 25 हजार से 50 हजार तक आबादी और जनजातीय अथवा पर्वतीय क्षेत्रों में पांच हजार से 15 हजार तक आबादी वाले भौगोलिक रूप से आस-पास बसे गांवों का एक क्लस्टर होगा। योजना के प्रथम चरण में चार और द्वितीय चरण में छह क्लस्टर मिलाकर कुल दस क्लस्टरों में इस मिशन के तहत निर्धारित 14 घटकों में कार्य किए जा रहे हैं। मिशन परियोजना की कुल लागत 912 करोड़ रूपए है। इसमें से 225 करोड़ रूपए केन्द्र सरकार द्वारा पूरक वित्त पोषण के रूप में दिए जा रहे हैं। विभिन्न योजनाओं के अभिसरण से 687 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे। केन्द्र सरकार से अब तक 98 करोड़ प्राप्त हो गए हैं। चौथे अनुपूरक में इसके लिए 25 करोड़ रूपए का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है।
नक्सल प्रभावित आठ जिलों के लिए केन्द्र से
मिली 685.68 करोड़ की मंजूरी
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के नक्सल प्रभावित आठ जिलों के लिए चौथे अनुपूरक बजट में किए गए प्रावधानों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि इनमें से बस्तर संभाग के सात जिलों-बीजापुर, सुकमा, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, कोण्डागांव सहित जिला राजनांदगांव में स्थानीय अधोसंरचना विकास और जनसेवाओं से संबंधित कार्यों के लिए केन्द्र सरकार ने 685 करोड़ 68 लाख रूपए की सहायता राशि मंजूर कर दी है। इसके अंतर्गत चालू वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 तक प्रत्येक जिले को 28 करोड़ 57 लाख रूपए के मान से यह राशि दी जाएगी। इसके लिए चौथे अनुपूरक बजट में 230 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
चौथे अनुपूरक के अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान
मुख्यमंत्री ने आज पारित चौथे अनुपूरक के अन्य महत्वपूर्ण प्रावधानों की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुलिस विभाग में मैदानी अमले में वृद्धि के कारण उनके मैदानी कार्यालयों के स्थापना व्यय के लिए 118 करोड़ रूपए, राजिम कुंभ मेले और गिरौदपुरी मेले के लिए 57 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि राजधानी रायपुर स्थित डी.के.एस. सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में निश्चेतना विभाग और इस अस्पताल के संचालन के लिए 52 पदों का सृजन करने, शिष्यवृत्ति, अन्वेषण और अनुसंधान तथा ट्रामा यूनिट निर्माण के लिए भी आवश्यक प्रावधान किया गया है। बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के तीसरे तल में न्यायाधीशों के लिए सात अतिरिक्त कमरों का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए भी चौथे अनुपूरक में आवश्यक प्रावधान किया गया है।