पुरुषोत्तम पात्र,गरियाबंद. सीमा पर जवान और देश मे किसान ना हो तो हालात क्या होंगे आप समझ सकते हैं. मगर जब लोग इन्हीं के साथ धोखाधड़ी करना शुरू कर दें तो ईमानदारी की बात करना बेईमानी होगी. ऐसे ही हालात गरियाबंद जिले में सामने आए हैं, जिले में किसानों के साथ बड़े पैमाने पर चूना लगाया जा रहा है, जिसकी जानकारी मिलने के बाद कृषि विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है.
जिला उपसंचालक कृषि विभाग के एक बयान से इस बात का खुलासा हुआ है. उपसंचालक संदीप भोई ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि बीते 2 दिनों में विभाग ने जिले के तकरीबन 25 कृषि उर्वरको दुकानों पर छापामार कार्रवाई की है, जिसमें लगभग तीन चौथाई दुकानों में खामियां पाई गई है.
उपसंचालक भोई ने बताया कि, छापेमारी कार्रवाई के दौरान लगभग 17 दुकानों में कई प्रकार की अनियमितताएं पाई गई है, जिसमें एक्सपायरी दवाइयां बेचना, अधिक कीमत पर बेचना, स्टॉक बुक में एन्ट्री नहीं होने के साथ-साथ प्रिंसिपल सर्टिफिकेट समावेशित किए बिना दुकान संचालन करना, पॉस मशीन में उर्वरक वितरण ना करना, आधार कार्ड के बिना कृषकों को उर्वरक वितरण करना, लाइसेंस/मूल्य सूची प्रदर्शित नहीं करना, स्कंध पंजी/वितरण पंजी, केश मेमो, स्त्रोत प्रमाण पत्र के अनुमोदन बिना बिक्री करना, भण्डारण की जानकारी ना देना और वास्तविक स्टॉक में अंतर पाया जाना जैसी खामियां शामिल है.
फिलहाल अधिकारियों ने इन दुकानदारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और कुछ को सील कर दिया है. दुकानदारों से नोटिस का सन्तोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर उनके लाइसेंस को बर्खास्त करने की चेतावनी भी अधिकारियों ने दी है. इतने बड़े पैमाने पर अनियमितताएं पाया जाना जिला प्रशासन और किसानों के लिए चिंता का विषय है.
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इस पूरे मामले में कृषि उर्वरक दुकानदार जितने दोषी है उतना ही दोषी कृषि विभाग भी है. दो दिन की कार्रवाई के बाद आज भले ही कृषि विभाग अपनी पीठ थपथपा रहा हो मगर क्या कृषि विभाग यह बताने की स्थिति में है, कि उसके द्वारा कितनी उर्वरक दुकानों की मासिक जांच की जाती है और यदि हर बार जांच में ऐसी ही खामियां सामने आती है, तो उसके द्वारा कितने दोषी दुकानदारों के खिलाफ क्या कठोर कार्रवाई की गई?
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बता दें कि छापामार कार्रवाई का निर्देश कलेक्टर नम्रता गांधी ने कृषि विभाग को दिया था, जिसके बाद कार्रवाई को अंजाम दिया गया.
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