इस विश्वविद्यालय से फर्जी अंकसूची बांटने का मामला सामने आया है. पुलिस ने मामले में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार भी किया है. पूछताछ में पता चला कि गोपनीय विभाग के एक कर्मचारी ने 20 हजार रुपये लेकर एमएससी गणित का फर्जी अंकसूची दिया था.
शैलेन्द्र पाठक,बिलासपुर. पंडित सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय में फर्जी अंकसूची देने का मामला सामने आया है. वो भी महज 20 हजार रुपए देकर. इस मामले में शिकायत के बाद पुलिस ने दो युवकों को गिरफ्तार किया है. पुलिस फर्जी अंकसूची मामले में बड़े रैकेट का खुलासा कर सकती है. फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी हुई है.
कोनी पुलिस के मुताबिक जिला जशपुर के खड़गा के आरोपी छात्र सुरेश राम ने ओपन यूनिवर्सिटी 2014- 15 में एमएससी गणित में प्रवेश लिया था. परीक्षा में फेल होने के बाद सुरेश यूनिवर्सिटी में गोपनीय शाखा के मानसेवी कर्मचारी आशीष चंद्राकर से 20 हजार में फेल अंकसूची को सुधार कर प्रथम श्रेणी का बनवाया गया. सुरेश ने 2017 में प्रवजन प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया. अंकसूची के फोटोकापी के आधार पर उसका परीक्षण किया गया, तो अंकसूची फर्जी पाई गई.
जिसके बाद कुलसचिव ने 16 अगस्त 2017 को इस मामले की शिकायत कोनी पुलिस थाने में किया. पुलिस ने धारा 465, 468 और 471 के तहत अपराध दर्जकर लिया. पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक टीम तैयार किया और आरोपी की तलाश में जुट गई. जिसके बाद पुलिस ने आरोपी सुरेश और आशीष चन्द्राकर गिरफ्तार कर लिया.
बता दें कि आरोपी सुरेश राम की शिक्षा विभाग में नौकरी लगने वाली थी. जिसके लिए उसे डिग्री की आवश्यकता थी. इसलिए उसने प्रवजन प्रमाण पत्र और डिग्री के लिए यूनिवर्सिटी में आवेदन किया. सुरेश जशपुर के शिक्षा विभाग में नौकरी जिस फर्जीवाड़े को कुलसचिव ने पकड़ लिया. पुलिस दोनों आरोपियों को आज न्यायालय में पेश करेगी.
गौरतलब है कि पंडित सुंदर लाल शर्मा यूनिवर्सिटी में पहले भी इस तरह का फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है इस मामले में यूनिवर्सिटी की मिलीभगत है जिसकी वजह से आये दिन कुछ न कुछ मामले सामने आते रहते है.
कुलपति वंश गोपाल सिंह ने बताया कि हमने मामले की जानकारी होते ही पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी थी. पुलिस मामले की जांच कर रही है. जिस कर्मचारी ने किया वो विश्वविद्यालय छोड़ चुका है. इस मामले दूसरे कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है.