दिल्ली की एक अदालत ने सास और ननद को क्रूरता और दहेज हत्या के आरोपों से बरी कर दिया है. अदालत ने यह निर्णय सुनाते हुए कहा कि दोनों ने अपने बचाव में यह साबित किया कि उन्हें झूठा फंसाया गया था. एडिशनल सेशंस जज शीतल चौधरी प्रधान की अदालत में आईपीसी की धारा 498ए (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा विवाहित महिला के प्रति क्रूरता) और 304बी (दहेज हत्या) के तहत मामला चल रहा था.

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इस मामले में मृतका सुष्मिता की मां मीना ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि सास रेखा और ननद कंचन ने उनकी बेटी सुष्मिता उर्फ सोनम को दहेज के लिए प्रताड़ित किया, जिसके परिणामस्वरूप उसने 22 जुलाई 2022 को आत्महत्या कर ली. अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि मां ने दहेज मांगने के संबंध में आरोपियों के खिलाफ कोई गवाही नहीं दी.

अदालत ने यह स्पष्ट किया कि पीड़िता के पति, भाई और ससुर के बयान अभियोजन पक्ष की कहानी का समर्थन नहीं करते हैं. इसके आधार पर, अदालत ने प्रस्तुत तथ्यों के मद्देनजर सरकारी गवाहों के बयानों को अविश्वसनीय मानते हुए खारिज कर दिया.

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अदालत ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार मृतका के शरीर पर कोई बाहरी चोट नहीं पाई गई. रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि पीड़िता के साथ किसी प्रकार का शारीरिक दुर्व्यवहार नहीं हुआ था. इसके अतिरिक्त, मृतका ने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा, जो यह दर्शाता हो कि उसके साथ क्रूरता की गई थी. अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत अन्य सभी गवाहों ने भी घटना के संबंध में कोई बयान नहीं दिया है.

अदालत ने फोरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) की रिपोर्ट के आधार पर बताया कि मृतका का एक व्यक्ति आदर्श मिश्रा के साथ भावनात्मक संबंध था. अदालत में आदर्श मिश्रा ने यह स्वीकार किया कि उसकी मुलाकात सुष्मिता (मृतका) से सोशल मीडिया के जरिए हुई थी. उन्होंने बताया कि वे कई बार मिले और उसकी मौत से पहले भी बातचीत की थी. हालांकि, सुष्मिता ने कभी भी आरोपियों द्वारा उसके साथ किए गए किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार की शिकायत नहीं की.