रायपुर. भारत पेट्रोलियम, रोटरी क्लब रायपुर, रोटरी क्लब नॉर्थ रायपुर एवं संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन की ओर से सोमवार को निशुल्क कैंसर जांच एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस शिविर में हिस्सा लेने के लिए शिविर के पहले दिन प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों से भी कैंसर पीड़ितों ने संजीवनी कैंसर हॉस्पिटल पहुंचकर कैंसर विशेषज्ञों से निशुल्क कैंसर परामर्श एवं जांच का लाभ लिया. यह शिविर मंगलवार को भी प्रदेश के नागरिकों की सेवा में लगाया गया है, जो शाम 4 बजे तक चलेगा.

जरूरतमंद नागरिक सीधे संजीवनी कैंसर हॉस्पिटल पहुंचकर कैंसर विशेषज्ञों से निशुल्क स्वास्थ्य परामर्श एवं चेकअप करा रहे हैं. भारत पेट्रोलियम द्वारा रोटरी क्लब रायपुर, रोटरी क्लब नॉर्थ रायपुर, संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान से आयोजित इस निशुल्क कैंसर परामर्श एवं जांच शिविर में रोटरी क्लब रायपुर से प्रेसिडेंट रोटेरियन भरत डागा, रोटेरियन पीडीजी सुभाष साहू, रोटेरियन मोरियानी, रोटेरियन प्रदीप साहू, रोटेरियन डॉ अनीता ढागमबार, रोटरी क्लब नॉर्थ रायपुर, प्रेसिडेंट श्याम खंगन, रोटेरियन आलोक श्रीवास्तव, रोटेरियन अरुण सक्सेना, रोटेरियन अशोक, डॉ. यूसुफ मेमन, फाउंडर, संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन, डॉ विकास गोयल, डॉ अर्पण चतुर्मोहता, डॉ अनिकेत ठोके, डॉ दिवाकर पांडेय, डॉ राकेश मिश्रा, डॉ विनीता देवांगन उपस्थित थे.

डॉ. यूसुफ मेमन ने बताया, इस शिविर में मरीजों को निशुल्क परामर्श एवं 10 हजार रुपए तक की निशुल्क आवश्यक जांचें की जा रही है. (जैसे की आवश्यक रूटीन ब्लड टेस्ट, पैप स्मियर, एक्स रे, सोनोग्राफी, मैमोग्राफी आदि). यह शिविर, आज सुबह 11 से शाम 4 बजे तक जारी रहेगा. इस शिविर में हिस्सा लेकर लोग निशुल्क जांच एवं परामर्श का लाभ उठा सकते हैं.

रोटरी क्लब रायपुर के प्रेसिडेंट भरत डागा जी एवं रोटरी क्लब नॉर्थ रायपुर के प्रेसिडेंट श्याम खंगन जी ने बताया, कैंसर के बारे में जानकारी पाने का सबसे बेहतर तरीका डॉक्टर से सलाह लेना ही है. यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण को नोटिस करते हैं और वे गायब नहीं होते हैं तो समय आ गया है कि आप इस शिविर में डॉक्टर से आकर निशुल्क चेकअप कराएं और परामर्श लें.

ये हैं कैंसर के लक्ष्ण

रक्त रोग एवं ब्लड कैंसर विशेषज्ञ डॉ विकास गोयल ने बताया, ल्यूकेमिया(खून का कैंसर) रक्त बनाने वाली कोशिकाओं का एक कैंसर है, जो कि शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता को कमजोर कर देता है. ल्यूकेमिया के कुछ आम लक्षणों में बुखार या ठंड लगना, लगातार थकान और कमजोरी आना, बार-बार बीमारियों से संक्रमित हो जाना, बिना कोशिश किए वजन कम हो जाना, सूजे हुए लिम्फ नोड्स, चोट लगने पर आसानी से खून बहना, बार-बार नाक से खून बहना और आपकी त्वचा में छोटे लाल धब्बे हो जाना जैसे कुछ लक्षणों से सावधान रहना चाहिए.

सीनियर कैंसर सर्जन डॉ अर्पण चतुर्मोहता ने बताया, बिना वजह वजन का घटना, बुखार, थकान, दर्द, त्वचा में परिवर्तन, मलमूत्र की आदतों या मूत्राशय के कार्य में परिवर्तन, घाव का ठीक नहीं होना, असामान्य रक्तस्राव या डिस्चार्ज, शरीर के किसी हिस्से में गांठ या उभार आना, अपच या निगलने में परेशानी, मस्से या तिल में हाल ही में हुआ बदलाव, बार बार खांसी आना या, आवाज में बदलाव आना या स्वर बैठना आदि कैंसर के कुछ लक्षण हैं जिनका लोगों को ध्यान रखना चाहिए.

कीमोथेरेपी विशेषज्ञ, डॉ. अनिकेत ठोके ने बताया कि कैंसर का इलाज मुख्यतः सर्जरी कीमोथेरेपी और रेडियोथैरेपी के द्वारा किया जाता है. सर्जरी में कैंसर ग्रसित कोशिकाओं को शरीर से निकाल दिया जाता है. कीमोथेरेपी में दवाओं के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है और रेडियोथैरेपी में रेडिएशन की सहायता से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है.

अत्याधुनिक तकनीकों से होता है इलाज

डॉ दिवाकर पांडेय ने यह भी कहा, कैंसर के शुरुवाती स्टेज में इलाज कराने से कैंसर से जड़ से छुटकारा पाया जा सकता है इसलिए कोई भी लक्षण आने पर तुरंत अपने डॉक्टर के पास जा कर परामर्श लेना चाहिए. कैंसर एक जटिल एवं गंभीर बीमारी है, जिसका इलाज अत्याधुनिक तकनीकों से किया जा सकता है. योगा, प्राणायाम जैसे नियमित व्यायाम करके भी कैंसर से बचा जा सकता है. एडवांस्ड स्टेज में भी इम्यूनोथेरेपी एवं अन्य अत्याधुनिक तकनीकों द्वारा कैंसर पर काबू पाया जा सकता है.

मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ राकेश मिश्रा ने लोगों को तंबाकू सेवन छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से तंबाकू छोड़ने के बाद के कुछ लाभों को साझा किया. उन्होंने बताया कि 20 मिनट के बाद रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) और नाड़ी की दर (पल्स रेट) सामान्य हो जाती है. हमारे शरीर के रक्त में ऑक्सीजन का स्तर आठ घंटे के बाद सामान्य हो जाता है. दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम होने लगता है, 24 घंटे के बाद कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर से बाहर निकल जाती है. स्वाद और गंध की इंद्रियों में सुधार होता है, 72 घंटे के बाद सांस लेना आसान हो जाता है, फिर हमारे शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ने लगता है.

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