पी. रंजनदास, बीजापुर. न प्रसिद्धि पाने की चाह और न ही किसी प्रकार का स्वार्थ, मकसद है तो समाज व देश के लिए कुछ करने का, इस उद्देश्य से पिछड़े आदिवासी इलाकों के बच्चों को नवोदय के अलावा एकलव्य विद्यालय में दाखिल करने दो शिक्षकों ने निशुल्क कोचिंग की पहल की है. अभी यहां 36 बालक और 16 बालिका निःशुल्क कोचिंग का लाभ ले रहे हैं. बच्चों की परफॉर्मेंस भी अच्छी है. उम्मीद है उनकी कोशिश रंग लाएगी.
तोयनार आवासीय विद्यालय के अधीक्षक मो. इकबाल खान और उनके दो साथी शिक्षक सडवल मोरला, अमर दीप का मानना है कि शिक्षा एक ऐसा अस्त्र है, जिससे जीवन की बुलंदियों को छुआ जा सकता है. इन दोनों शिक्षकों ने जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर तोयनार स्थित बालक आवासीय विधालय परिसर में सुबह-शाम दो पालियों में 2 घंटे की निःशुल्क क्लास की व्यवस्था की है, जिसमें आवासीय विधालय के अलावा अन्य इलाकों के बच्चे भी प्रवेश लेकर नवोदय और एकलव्य विद्यालय प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.
निःशुल्क पठन सामग्री के साथ नाश्ते-भोजन का भी प्रबंध
फ्री कोचिंग के साथ यहां बच्चों को निःशुल्क पठन सामग्री के अलावा नाश्ते-भोजन का भी प्रबंध है. शिक्षकों का मकसद है कि अधिक से अधिक बच्चे नवोदय में चयनित हो. उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना आए. प्रतियोगी परीक्षा की महत्ता को समझे. फिलहाल बच्चों को सिलेबस अनुसार पढ़ाया जा रहा है, जिसमें गणित, अंग्रेजी, तर्कशक्ति व अन्य विषय शामिल हैं. अभी यहां 36 बालक और 16 बालिका निःशुल्क कोचिंग का लाभ ले रहे हैं.
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