चंडीगढ़। कोरोना संकट ने देश को संकट में डाल दिया. इससे हर वर्ग और उम्र के लोग प्रभावित हुए. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर मार्च 2020 से लेकर मार्च 2021 तक यानी एक साल तक पंजाब के भी सभी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहे. हालांकि इस अवधि के दौरान जन्मजात हृदय रोग वाले 217 बच्चों का ऑपरेशन किया गया और 18 बच्चों की पीआईडीडी यानी प्राथमिक इम्यूनो डेफिशिएंसी डिजीज को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत मुफ्त इलाज प्रदान किया गया.
हेल्थ मिनिस्टर बलबीर सिंह सिद्धू ने दी योजना की जानकारी
पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि सभी 258 आरबीएसके मोबाइल स्वास्थ्य टीमों को कोविड -19 में ड्यूटी करने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था, क्योंकि स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र महामारी के मद्देनजर बंद थे. उन्होंने कहा कि कोविड ड्यूटी करने के अलावा आरबीएसके की टीमें पंजाब में सभी बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्रयासरत है, जिसके तहत स्कूली बच्चों को आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं.
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मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि आरबीएसके एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका लक्ष्य जन्म से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए 4 ‘डी’ को कवर करने के लिए शुरुआती पहचान और इलाज करना है. 4 डी में जन्म के समय के दोष, कमियां, बचपन के रोग, दिव्यांगता सहित विकास में देरी (Defects at birth, Deficiencies, Childhood Diseases, Development delays including disability) शामिल है.
पोषण बच्चों के लिए बहुत जरूरी
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि एक बच्चे के जीवन के शुरुआती साल में पोषण उनके जीवित रहने और विकास दोनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं और यह कार्यक्रम बच्चों की जांच करने, स्वास्थ्य स्थितियों की पहचान करने, चिकित्सा ध्यान देने और जल्द इलाज सुनिश्चित करता है.
6% बच्चे जन्म दोषों के साथ लेते हैं जन्म
इधर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं (परिवार कल्याण) डॉ. अन्देश कांग ने आरबीएसके के महत्व को बताते हुए कहा कि भारत सरकार के अनुमानों के अनुसार भारत में जन्म दोष, कमियों, बचपन के वक्त गंभीर रोग और दिव्यांगता सहित विकास संबंधी विकारों के मामले अधिक हैं और इसे दूर करना जरूरी है. ऐसा उनकी जल्द पहचान और इलाज करके ही हो सकता है. बता दें कि 6% बच्चे जन्म दोषों के साथ पैदा होते हैं, 10% बच्चे विकास में देरी से प्रभावित होते हैं, जिससे दिव्यांगता होती है.
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राज्य कार्यक्रम अधिकारी (आरबीएसके) डॉ सुखदीप कौर ने बताया कि इस कार्यक्रम में पंजाब में 0-18 साल की उम्र के 3.7 मिलियन से अधिक बच्चे शामिल हैं. सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं और घर पर नवजात शिशुओं की स्क्रीनिंग रणनीति का एक महत्वपूर्ण घटक है. 26,966 आंगनबाड़ियों के जरिए 6 वर्ष तक की आयु के पहले विद्यालय के बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच वर्ष में दो बार की जाती है और 19,671 सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले 6 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों की भी वर्ष में एक बार स्वास्थ्य जांच की जाती है.
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उन्होंने कहा कि बच्चों को इलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ़, सीएमसी, डीएमसी, फोर्टिस अस्पताल, मोहाली और तीन सरकारी संस्थानों जैसे तृतीयक स्तर के संस्थानों में ऑपरेशन सहित अन्य रेफरल सहायता और इलाज मिलती है. मेडिकल कॉलेज यानी अमृतसर, फरीदकोट और पटियाला में भी मुफ्त इलाज बच्चों को मिलता है.