भारत अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, और  ज़ी थिएटर के टेलीप्ले ‘ओके टाटा बाय बाय’ में अभिनय करने वाली गीतिका त्यागी का प्रश्न है कि क्या  पुरुषों और महिलाओं के लिए स्वतंत्रता का मतलब एक ही है?  और क्या  समाज कभी भी दोनों लिंगों को समान विशेषाधिकार दे सकता है?  वह कहती हैं, “महिलाओं के लिए सामाजिक आलोचना  से मुक्त रहना कठिन होता  है. ‘ओके टाटा बाय बाय’, इस बात का बड़ी गहनता से अध्ययन करता है. 

साथ ही ये कहानी उस नैतिक पाखंड और दोहरे मानकों को उजागर करती है जिसके ज़रिये  यौनकर्मियों का मूल्यांकन किया जाता है. ये यौनकर्मी महिलाएं  एक ऐसे समाज का हिस्सा हैं  जो उनका शोषण करता है लेकिन उन्हें ही अपमानित किया जाता है. सिनेमा और अन्य माध्यमों में, यौनकर्मियों को पीड़ितों के रूप में चित्रित किया जाता है, लेकिन इस कहानी में, आप एक ऐसी यौनकर्मी को देखते हैं जो शर्मिंदा होने से इनकार करती है और अपने जीवन को  जश्न की तरह जीती  है. वह उस स्वतंत्रता का प्रदर्शन करती है जो  किसी भी व्यक्ति के लिए सुलभ है जो उसे हासिल करने का साहस करता है.”

 जब गीतिका ने इस पूर्वा नरेश के इस टेलीप्ले की स्क्रिप्ट पढ़ी तो वह तुरंत इससे जुड़ गईं. वह बताती हैं, “मेरा किरदार पूजा काफ़ी परतदार है. वह यौनकर्मियों के जीवन का दस्तावेजीकरण करना चाहती है, लेकिन जब वह एक ऐसी महिला को देखती है, जो अपने पेशे के बावजूद पीड़ित नहीं है, बल्कि मानसिक रूप से मुक्त है, तो भ्रमित हो जाती है. धीरे-धीरे, उसके अपने विचार भी विकसित होते हैं और वह यह देखना शुरू कर देती है कि इन महिलाओं को गलत तरीके से बहिष्कृत किया जाता है. मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि शिक्षा और साक्षरता हमें पितृसत्ता से निपटने में मदद कर सकती है.हालांकि, अभी भी हम ऐसे दौर में हैं जहाँ हम  लैंगिक समानता हासिल नहीं कर पाए हैं.”

पूर्वा नरेश द्वारा निर्देशित, इस टेलीप्ले में जिम सर्भ, प्रेरणा चावला और सारिका सिंह भी हैं और यह 13 अगस्त को एयरटेल थिएटर, डिश टीवी, रंगमंच एक्टिव और डी2एच रंगमंच एक्टिव पर प्रसारित होगा.