फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च (French National Centre for Scientific Research) ने अपने एक नए अध्ययन में पाया है कि नन्ही चींटियां कैंसर सेल्स का पता लगाने के लिए अपनी सूंघने की गहरी समझ का इस्तेमाल कर सकती हैं.

 फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च (French National Centre for Scientific Research) के मुताबिक, कुछ मिनटों के प्रशिक्षण के बाद ये चींटियां स्वस्थ कोशिकाओं को कैंसरग्रस्त मानव कोशिकाओं से अलग करने में सक्षम हो जाती हैं. शोधकर्ता महंगे तरीकों का सहारा लिए बिना कैंसर का जल्दी और कुशलता से पता लगाने के तरीके तलाश रहे हैं. पिछले महीने आईसाइंस में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा कि निष्कर्ष बताते हैं कि मानव कैंसर के बायोमार्कर का पता लगाने के लिए जीवित उपकरण के रूप में चींटियों का उपयोग करना अन्य जानवरों की तुलना में व्यवहार के योग्य, तेज और कम मेहनत वाला है. शोधकर्ताओं ने बताया कि अध्ययन में पाया गया कि नन्ही चींटियां दो अलग-अलग कैंसर सेल के बीच अंतर करने में भी सक्षम थीं.

चींटियों का इस्तेमाल ज्यादा व्यवहारिक

पिछले महीने आईसाइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा कि हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि मानव कैंसर के बायोमार्कर का पता लगाने के लिए जीवित उपकरण के रूप में चींटियों का उपयोग करना अन्य जानवरों की तुलना में व्यवहार के योग्य, तेज और कम मेहनत वाला है.

कई रोगों का पता चलेगा

शोधकर्ताओं को लगता है कि चींटियां अन्य गंधों को भी सूंघ सकती हैं. जैसे नशीले पदार्थ, विस्फोटक या अन्य बीमारियां. आने वाले समय में यहीं चींटियां अन्य बीमारियां का भी पता लगा सकेंगी. उन्होंने कहा कि चींटियां कुत्तों की तरह प्यारी नहीं हैं, लेकिन उनमें सूंघने की शक्ति उतनी ही मजबूत है.