जी हां हर इंसान के जीवन में उसका दोस्त कुछ इसी तरह खास होता है, जिसे भी सच्ची दोस्ती मिली है, वो इंसान बहुत खुशनसीब होता है, ये रिश्ता आपको ये सहुलियत देता है कि आप अपने दोस्त के साथ आप खुशी के पल के साथ ही दुख को भी साझा कर सकते हैं. आप उसके कांधे पर सर रख कर बुक्का फाड़ के रो सकते हैं, उसकी खिल्ली उड़ा सकते हैं, उससे मार खा सकते हैं.. वाकई दोस्ती बहुत अजीब लेकिन सबसे खूबसूरत रिश्ता है.

दोस्ती एक ऐसा शब्द है जिसे महसूस किया जा सकता है, इसे शब्दों में पूरी तरह बयां करना बहुत कठिन है. इसकी महानता को कुछ इस तरह से समझ सकते हैं कि मां, पिता, भाई, बहन के रिश्ते को भी जब अलंकृत करना होता है या समझाना होता है तो आम बोलचाल में कह दिया जाता है कि मां और बेटी के बीच मित्रवत संबंध या दोनों भाई दोस्तों की तरह रहते हैं यहां तक ये भी कहा जाता है कि खुशाहाल दांपत्य जीवन के लिए सबसे अच्छा सूत्र है कि पति-पत्नी एक दूसरे से फ्रेंड की तरह व्यव्हार करें. कई मायनों में कई आयाम लिए हुए है “दोस्त” शब्द. हमारे यहां पौराणिक कथाओं में भी इस रिश्ते की महानता को भरपूर स्थान दिया गया है. फिर वो राम और सुग्रीव की मित्रता हो या फिर कृष्ण-सुदामा की. रामचरितमानस में तुलसीदास जी लिखते हैं-

जे न मित्र दुख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥
निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना।।

बाल अवस्था में जिंदगी की समझ एक इंसान माता-पिता और परिवार के दूसरों सदस्यों के साथ ही अपने साथियों-दोस्तों से सीखता है. बच्चे एक दूसरे का अनुकरण करते हुए ही जीवन की पाठशाला में वो सब कुछ सीखते हैं जो शायद किसी और माध्यम से नहीं सीखा जा सकता. दो इंसानों के अलावा भी हम प्रकृति से मित्रवत संबंध रख सकते हैं. ये आज की जरूरत भी है. यहां कुछ ऐसे ही संबंधों का जिक्र करना जरूरी है.

मनुष्य और पर्यावरण के बीच दोस्ती

दोस्ती जितनी महत्वपूर्ण दो इंसानों के बीच है, उतनी ही जरूरी हमारे और पर्यावरण के बीच है. इसके साथ संबंध बिगाड़ के मनुष्य अपना बहुत नुकसान कर चुका है, जबकि इसके बिना इस धरती हमारा जीवन संभव नहीं है. अब समय आ चुका है कि हम अपने जलवायु के प्रति गंभीर हो जाएं, उसे हेल्दी बनाने के लिए अपनी तरफ से कोशिश करें. हम एक पेड़ लगाकर उससे दोस्ती कर सकते हैं. रंग-बिरंगे फुल और बगीचे भी हमारे दोस्त हो सकते हैं. जब एक बार इनके तरफ मित्रवत होकर देखने लगेंगे तो आप अपने जीवन में धीरे धीरे एक सकारात्मक बदलाव जरूर महसूस करेंगे.

पशुओं से मित्रता

घोड़ा और कुत्ता मनुष्य के पुराने साथी रहे हैं. इतिहास में कई ऐसी घटनाएं सुनने को मिलती हैं जिनमें इन मूक जानवरों ने अपनी वफादारी अपने जान पर खेलकर निभाई है. आज जहां कई जंगली जानवर अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं उस दौर में हमें इनके तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाना जरूरी है. क्योंकि ये हमारे पारिस्थितिकीतंत्र के बेहद अहम कड़ी हैं.

किताबों से दोस्ती

आज कई तरह के गैजेट्स और इंसानी व्यस्तता के बीच हम किताबों से दूर होते जा रहे हैं. जिन किताबों को पढ़ाने के लिए लोगों में भारी बेताबी हुआ करती थी, आज वो अलमारियों में धूल खा रहे हैं. बेहद सहजता से उपलब्ध होने के बाद भी आज खासकर युवा साहित्य से दूर होते जा रहा है. ऐसे में इस फ्रेंडशिप-डे के मौके पर हमें किताबों से दोस्ती करनी भी जरूरी है.

वैसे तो फ्रेंडशिफ डे का इतिहास करीब 80 साल पुराना है. लेकिन दोस्ती की मिसाल मानव सभ्यता के हर मोड़ पर रहा है. फर्स्ट वर्ल्ड वार के बाद जब अमेरिका और युरोप में सैनिकों के साथ ही आम लोग भी अवसाद से ग्रस्त हो रहे थे. तब इसकी अवधारणा सामने आई यानि तब भी जिम्मेदारों ने ये समझा की इस दुख की घड़ी में यही वो रिश्ता है जो लोगों को इस गम से उबार सकता है. और फिर से जीवन में खुशहाली घोल सकता है. हैप्पी फ्रेंडशिप-डे।।