सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग तीन दिनों के भारत दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और कई मुद्दों पर चर्चा की। दोनों नेताओं के बीच किन मुद्दों पर बातचीत हुई इस बात की जानकारी सचिव (ईस्ट) पी. कुमारन ने दी।

यह पूछे जाने पर कि क्या सिंगापुर के प्रधानमंत्री वोंग और प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में अपनी बैठक के दौरान 50% अमेरिकी टैरिफ पर चर्चा की थी, सचिव (पूर्व) पी कुमारन ने कहा, “इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। व्यापक वैश्विक अनिश्चितता और हम सभी के लिए अपने व्यापार और निवेश संबंधों में विविधता लाने की आवश्यकता और हमारी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने और उन्हें अधिक लचीला बनाने के लिए यथासंभव अधिक से अधिक अधिमान्य व्यापार समझौतों या मुक्त व्यापार समझौतों की संभावना तलाशने की आवश्यकता के सिवाय किसी पर चर्चा नहीं हुई।”

इन बातों पर बनी सहमति

उन्होंने बताया, “रक्षा सहयोग को भी द्विपक्षीय साझेदारी के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में स्वीकार किया गया। तीनों सेनाओं सहित दोनों पक्षों के बीच आदान-प्रदान और प्रशिक्षण सहयोग के साथ-साथ सहभागिता को और बढ़ाने पर सहमति हुई। रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर भी सहमति हुई। हमारे सांस्कृतिक और लोगों के बीच संबंधों को और मजबूत करने पर सहमति हुई। दोनों प्रधानमंत्रियों ने आसियान के साथ भारत के संबंधों पर भी चर्चा की और सिंगापुर हमेशा से भारत की एक्ट-ईस्ट नीति में एक महत्वपूर्ण साझेदार रहा है।”

सेमीकंडक्टर को लेकर क्या हुई बात?

पी कुमारन ने कहा, “पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी की सिंगापुर यात्रा के दौरान हमने सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम साझेदारी पर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) का आदान-प्रदान किया था। इस समझौता ज्ञापन के तहत, हमने एक द्विपक्षीय सेमीकंडक्टर नीति वार्ता स्थापित की है और दोनों पक्ष भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए निवेश, व्यापार-से-व्यापार संबंध, कौशल विकास और अनुसंधान एवं विकास पर काम कर रहे हैं, जिससे आने वाले वर्षों में यह सहयोग का एक बहुत ही आशाजनक क्षेत्र बन जाएगा।”

उन्होंने आगे कहा, “हरित और डिजिटल शिपिंग कॉरिडोर पर संपन्न समझौता ज्ञापन शून्य-उत्सर्जन ईंधन आपूर्ति श्रृंखलाओं पर सहयोग को सुगम बनाएगा और हमारे समुद्री उद्योगों को इस समझौते से लाभ होगा। हमने आज डिजिटल परिसंपत्ति नवाचार पर भी समझौता ज्ञापन (एमओयू) का आदान-प्रदान किया, जो हमारे आरबीआई और सिंगापुर के मौद्रिक प्राधिकरण के बीच डिजिटल क्षेत्र में केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्राओं सहित, सहयोग को बढ़ावा देने में मदद करेगा। इसरो ने पहले 18 सिंगापुरी उपग्रहों को प्रक्षेपित किया है और आज आदान-प्रदान किए गए समझौता ज्ञापन के साथ, हम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष स्टार्टअप के क्षेत्रों में आगे सहयोग के लिए काम करेंगे।”

सिंगापुर-भारत: भरोसे की साझेदारी

पीएम मोदी ने वोंग के साथ मीडिया के सामने कहा, ‘सिंगापुर हमारे ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी का अहम स्तंभ है. यह सिर्फ आर्थिक साझेदारी नहीं, बल्कि साझा मूल्यों और विश्वास पर टिकी गहरी दोस्ती है.’ वोंग ने भी दोहराया कि अनिश्चितताओं से भरी दुनिया में भारत-सिंगापुर पार्टनरशिप पहले से ज्यादा मायने रखती है.

दोनों नेताओं ने मिलकर मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट में बने भारत मुंबई कंटेनर टर्मिनल के दूसरे चरण का उद्घाटन किया. इसमें सिंगापुर की PSA इंटरनेशनल ने एक अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है.

‘द्विपक्षीय व्यापार का हो रहा विस्तार’

उन्होंने बताया, “दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय व्यापार में निरंतर विस्तार की सराहना की, जो 2004-05 में लगभग 6.7 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024-25 में लगभग 35 बिलियन डॉलर हो गया है। वे इस बात पर सहमत हुए कि दोनों पक्षों को भारत-सिंगापुर सीईसीए और आसियान-भारत व्यापार एवं वस्तु समझौते की अगली समीक्षा पर काम करना चाहिए। प्रधानमंत्रियों ने भारत और सिंगापुर के बीच बढ़ते निवेश प्रवाह की भी सराहना की और इसे और बढ़ाने की क्षमता का उल्लेख किया।”

पांच बड़ी डील्स: भविष्य का रोडमैप

डिजिटल एसेट इनोवेशन: आरबीआई और सिंगापुर की मॉनेटरी अथॉरिटी के बीच समझौता, जिससे क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स और डिजिटल चैनल्स मजबूत होंगे.

एविएशन ट्रेनिंग और रिसर्च: एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और सिंगापुर की सिविल एविएशन अथॉरिटी साथ मिलकर एविएशन सेक्टर में क्षमता बढ़ाएंगे.

ग्रीन एंड डिजिटल शिपिंग कॉरिडोर: जहाजरानी क्षेत्र में जीरो-एमिशन फ्यूल्स और स्मार्ट पोर्ट टेक्नोलॉजी के लिए साझा ढांचा खड़ा किया जाएगा.

स्किलिंग इन मैन्युफैक्चरिंग: चेन्नई में नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर स्किलिंग स्थापित होगा.

स्पेस कोलैबोरेशन: सिंगापुर और भारत के बीच स्पेस इंडस्ट्री में सहयोग बढ़ेगा. याद रहे, अब तक भारत ने लगभग 20 सिंगापुरी सैटेलाइट लॉन्च किए हैं.

क्यों अहम है यह मुलाकात?

  • सिंगापुर पिछले सात वर्षों से भारत का सबसे बड़ा एफडीआई निवेशक है, कुल निवेश लगभग 170 अरब डॉलर.
  • दोनों देशों का व्यापार 2004-05 में 6.7 अरब डॉलर था, जो 2024-25 में बढ़कर 35 अरब डॉलर तक पहुंच गया.
  • सिंगापुर भारत को ASEAN देशों के साथ जोड़ने वाला ‘ब्रिज’ है.
  • भारत और सिंगापुर ने तय किया है कि जल्द ही CECA (Comprehensive Economic Cooperation Agreement) और AITIGA (ASEAN-India Trade in Goods Agreement) की समीक्षा होगी. भारत चाहता है कि ASEAN के साथ व्यापार घाटा संतुलित हो.

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