कानपुर की एक मूक-बधिर लड़की खुशी गुप्ता और उसके परेशान परिवार के लिए, 26 नवंबर, 2025 का दिन सिर्फ मुख्यमंत्री से मिलने का दिन नहीं था. यह एक उम्मीद भरे नए अध्याय की शुरुआत थी. यह घटना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दयालु, तेज और लोगों को ध्यान में रखकर काम करने वाले शासन का एक मजबूत उदाहरण है.

खुशी, एक 20 साल की लड़की जो सुन या बोल नहीं सकती, अकेले कानपुर से लखनऊ इस दिली इच्छा के साथ आई कि वह मुख्यमंत्री को अपनी हाथ से बनाई ड्राइंग पर्सनली गिफ्ट करे. जब वह लोक भवन के बाहर रोती हुई मिली, तो प्रशासन मदद के लिए आगे आया. जैसे ही मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा, उन्होंने फॉर्मल प्रोसेस को एक तरफ रखकर तुरंत कार्रवाई की. खुशी की मासूमियत और हिम्मत से प्रभावित होकर, योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया कि उसे और उसके परिवार को बिना देर किए उनके घर लाया जाए. यह तेज और पर्सनल जवाब उनकी गहरी सेंसिटिविटी और लोगों से सीधे जुड़ाव को दिखाता है. मुख्यमंत्री के घर पर, योगी आदित्यनाथ ने खुशी के आर्टवर्क को प्यार से देखा, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी का एक पोट्रेट भी था, और एक गार्जियन की तरह उसके परिवार से मिले.

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यह मीटिंग सिर्फ़ सिंबॉलिक नहीं थी. मुख्यमंत्री ने खुशी के भविष्य को सपोर्ट करने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाए. उन्होंने कानपुर में मूक-बधिरों के लिए एक स्पेशल कॉलेज में उसका एडमिशन करवाया, उसे पढ़ाई और स्किल डेवलपमेंट के लिए एक मोबाइल फ़ोन और टैबलेट दिया, और उसकी सुनने की बीमारी के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट का भरोसा दिया. उन्होंने परिवार के लिए घर की मदद भी दी. खुशी के माता-पिता, कल्लू गुप्ता और गीता गुप्ता के लिए, यह पल बहुत राहत और इज्ज़त का था. इस घटना ने दिखाया कि योगी आदित्यनाथ का एडमिनिस्ट्रेशन सिर्फ़ नियमों से नहीं, बल्कि दया, इंसानियत और ज़रूरतमंदों के लिए सच्ची चिंता से चलता है.

हालांकि CM योगी आदित्यनाथ अपने मज़बूत एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाइल के लिए जाने जाते हैं, लेकिन खुशी के साथ उनकी मीटिंग में उनके प्यार और बहुत इंसानियत भरे नेचर की झलक मिली. इससे लोगों का उन पर भरोसा दिखा, जो उनके तुरंत फ़ैसलों, आसानी और हमदर्दी वाले नज़रिए पर बना है. खुशी, जो पढ़ या सुन नहीं सकती, फिर भी उसका विश्वास अटूट था. बिना किसी से सलाह किए, वह घर से निकल गई और किसी तरह लखनऊ पहुंच गई, उसका एक ही मकसद था, अपनी ड्राइंग मुख्यमंत्री को गिफ्ट करना. लोक भवन के बाहर खोई और परेशान, वह फूट-फूट कर रोने लगी. उसकी कहानी जल्द ही मुख्यमंत्री तक पहुंची, जिन्होंने उसका इरादा समझा और तुरंत उसे और उसके परिवार को बुलाया.

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जब खुशी अपनी ड्राइंग लेकर उनके घर आई, तो मुख्यमंत्री ने प्यार से उसका स्वागत किया, उसके आर्टवर्क की तारीफ की, और उसके माता-पिता को दिलासा दिया, जो बहुत खुश और इमोशनल थे. मुख्यमंत्री की सादगी और प्यार से परिवार को लगा कि वे किसी अधिकारी से नहीं, बल्कि एक रक्षक से मिल रहे हैं. उन्होंने यह पक्का किया कि खुशी के इलाज, पढ़ाई और परिवार की घर की जरूरतों का ध्यान रखा जाए. इस पूरे मामले के केंद्र में CM योगी आदित्यनाथ का यह मानना ​​था कि शासन सिर्फ़ काम में नहीं, बल्कि हमदर्दी में होना चाहिए. उन्होंने दिखाया कि सरकार और उसके लोगों के बीच का रिश्ता सिर्फ़ पॉलिसी से नहीं, बल्कि दिल से जुड़े रिश्ते से बनता है. यह मीटिंग मुख्यमंत्री के दयालु व्यक्तित्व का एक दिल को छू लेने वाला उदाहरण है, जो इस बात को पक्का करता है कि सच्ची लीडरशिप सिर्फ़ एडमिनिस्ट्रेशन में ही नहीं, बल्कि इंसानियत में भी होती है.