नई दिल्ली.  बिहार के मुजफ्फरपुर से एक बड़ा मामला सामने निकलकर आया है. जहां सरकार द्वारा संचालित बालिका सुधार गृह में रहने वाली बालिकाओं के यौन शोषण का खुलासा हुआ है. मुंबई की प्रतिष्ठित संस्था ‘टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस’ से जारी सोशल ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार यहां रहने वाली लड़कियां नेता से लेकर अधिकारी तक के घरों में भेजी जाती थी. इस खुलासे के बाद से जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है.

सुधार गृह को किया गया सील

खुलासे के बाद से बालिका गृह का संचालन करने वाली संस्था के लोग फरार हैं. जिला प्रशासन ने आनन-फानन में वहां रहने वाली लड़कियों को पटना और मधुबनी स्थानांतरित कर दिया है और बालिका सुधार गृह को सील कर दिया है. यौन शोषण के आरोप के बाद जिला प्रशासन ने की कार्रवाई.

ऑडिट टीम ने रिपोर्ट में किया दावा

जिला बाल कल्याण सरंक्षण इकाई के सहायक निदेशक ने इंस्टीसट्यूट की रिपोर्ट के आधार पर मामले को संज्ञान में लिया है. जिसके बाद महिला थाने में बालिका गृह का संचालन करने वाले एनजीओ ‘सेवा संकल्प एवं विकास समिति’ के कर्ताधर्ता और पदाधिकारियों पर केस दर्ज कराया है. पुलिस ने सहायक निदेशक के शिकायती आवेदन के आधार पर धारा 376 और 120 बी के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कर छानबीन शुरु कर दी है. एनजीओ से जुड़े सभी लोग फिलहाल फरार बताये जा हैं. रिपोर्ट में ऑडिट टीम ने दावा किया कि बालिक गृह में रहने वाली कई बालिकाओं ने यौन उत्पीडऩ का खुलासा किया है.

कई बिंदुओं मे होगी जांच

पुलिस बालिका गृह में बच्चियों से यौन शोषण के अलावा कई बिंदुओं पर जांच कर रही. इसमें यहां की बच्चियों को रसूखदारों, सफेदपोशों व अधिकारियों के पास भेजने के बिंदु पर भी पुलिस फोकस कर रही. जिलाधिकारी मो. सोहैल ने पूरे मामले में जिला बाल संरक्षण अधिकारी को तलब कर उनसे पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है.

मामले में बाल संरक्षण इकाई के स्थानीय अधिकारी सवाल के घेरे में हैं. क्योंकि विभाग ने 28 मई को ही जांच व प्राथमिकी का निर्देश दिया था. मगर प्राथमिकी तीन दिनों बाद दर्ज कराई गई. इस दौरान यहां से कई फाइलें हटाने की आशंका जताई जा रही.