रायपुर- जनसंपर्क विभाग में चपरासी से लेकर आला अधिकारी तक ठगी का शिकार हो गए हैं. ये ठगी किसी और ने नहीं बल्कि विभाग के ही एक अधिकारी ने की है. सुनकर चौंक जाएंगे कि इस ठगी का बीज 17 साल पहले रोपा गया था, जिसमें चपरासी से लेकर आला अधिकारियों तक ने अपने खून-पसीने से सींचकर एक बड़ा पेड़ बनाया, लेकिन जब फल खाने की बारी आई, तो उनके हिस्से केवल कड़वाहट की आई. मामला साख समिति के खाते में हेरफेर से जुड़ा है. मामला तब फूटा जब इसके शिकार हुए तमाम लोगों ने प्रमुख सचिव को चिट्ठी लिखकर न्याय की गुहार लगाई है. खबर है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए गए हैं.

दरअसल इस ठगी में जनसंपर्क विभाग के ही लेखापाल जाहिद मिर्जा का नाम सामने आ रहा है, जिसने साख समिति के खाते में हेराफेरी कर करोड़ों रूपए की गड़बड़ी की है. सूत्र बताते हैं कि 17 साल पहले जाहिद मिर्जा ने विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को भरोसे में लेकर एक साख समिति का गठन किया था. इस समिति में जनसंपर्क विभाग के सैकड़ों लोग हर महीने अपनी कमाई का एक छोटा सा सीमित हिस्सा जमा किया करते थे. साख समिति से जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों का खाता खोलकर हर महीने 100 रूपए का अंशदान जमा कराया जा रहा था. आज की स्थिति में 500 रूपर का अंशदान तमा किया जा रहा है. समिति से जुड़े किसी कर्मचारी को यदि अग्रिम राशि की जरूरत पड़ती थी, तो शुरूआत में दस हजार रूपए देकर मदद की जाती थी. फिलहाल इस राशि को बढ़ाकर 50 हजार रूपए कर दिया गया था. बाद में उस राशि का समायोजन संबंधित कर्मचारी के वेतन से किस्तों में कटौती कर किया जाता था. समिति के खाते से लेनदेन सब ठीक चल रहा था, लेकिन दिसंबर 2016 में जब पंजीयक सहकारी साख समिति के संचालक की आडिट टीम ने साख समिति के खाते का आ्डिट किया, तब लेखा-जोखा में बड़ी गड़बड़ी पाई गई. आडिट टीम ने इसे लेकर कई बार साख समिति के अध्यक्ष जाहिद मिर्जा से जवाब मांगा, लेकिन मिर्जा की ओर से किसी तरह का जवाब नहीं दिया गया. बाद में साख समिति के खाता को लाॅक कर दिया गया. खाता लाक होने के बाद किसी भी तरह का लेनदेन बंद हो गया.
बताते हैं कि विभाग के अधिकारी-कर्मचारियो ंकी ओर से भी जाहिद मिर्जा से कई बार इस मामले पर चर्चा की गई, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब सामने नहीं आया. पिछले दिनों विभाग के तमाम पीड़ित अधिकारी-कर्मचारियों ने संयुक्त रूप से प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी को शिकायती चिट्ठी भेजकर न्याय की गुहार लगाई है. पीड़ित पक्षों की माने तो कई कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्होंने बेहतरी की चाहत लिए साख समिति में दो-दो खाते शुरू किए थे. अपनी महीने की तनख्वाह से बड़ी रकम खातें में जमा कराई जा रही थी, लेकिन अब वे लोग ठगी महसूस कर रहे हैं.

चपरासी से लेकर एडिशनल डायरेक्टर तक के नाम

जनसंपर्क विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि साख समिती में करीब सौ से ज्यादा खाते खोले गए हैं, जिसमें विभाग के चपरासी से लेकर एडिशनल डायरेक्टर तक के नाम शामिल हैं. बताते हैं कि जैसे ही इस गड़बड़ी की शिकायत प्रमुख सचिव तक जैसे ही पहुंची हैं, उन्होंने इसे बेहद गंभीरता से लिया है. खबर है कि जांच के बाद दोषी व्यक्ति के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ  कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी. जनसंपर्क विभाग के आला अधिकारी बताते हैं कि साख समिति के खातों में ऐसे निचले तबके के ज्यादातर कर्मचारियों ने पैसा जमा किया था, जिनकी जरूरतें छोटी-छोटी जमा राशि से पूरी होती हैं. किसी की बेटी की शादी, किसी के मकान का मरम्मत, बच्चों की पढ़ाई, बीमारी के वक्त होने वाला खर्च ऐसी ही जमापूंजी से पूरी होती हैं, लेकिन जिस तरह से उन्हें ठगा गया, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं. अधिकारी कहते हैं कि इसके लिए दोषी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।