रायपुर. पुलिसकर्मियों के परिजनों द्वारा अपनी विभिन्न मांगों और समस्याओं को लेकर 25 जून को धरना-प्रदर्शन का ऐलान किया गया था. जिससे पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया. इस ऐलान के बाद आनन फानन में शासन प्रशासन हरकत में आया. जहां एक ओर गृहमंत्री और कुछ अधिकारी आन्दोलन की चेतावनी देने वाले पुलिस के परिवारों को समझाने का प्रयास करने लगे, तो वहीं दूसरी ओर विभाग द्वारा आंदोलन को समर्थन करने वाले पुलिसकर्मियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. जिसमें पूछा गया है कि ‘क्यों न आपको बर्खास्त कर दिया जाए ?’ इस नोटिस का जबाव 7 दिनों के भीतर देने को कहा गया है.

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रायपुर द्वारा जारी किये गये नोटिस में लिखा गया है कि ”कुछ विद्रोही प्रवृत्ति के व्यक्तियों द्वारा पुलिस कर्मियों के लिए 11 सूत्री मांगों के समर्थन में सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से शासन के विरुद्ध 25 जून को पुलिस परिवार के सदस्यों द्वारा रायपुर में धरना प्रदर्शन कर आंदोलनात्मक विद्रोह करने के लिए उकसाने वाले पोस्ट समाचार प्रचारित प्रसारित किए जा रहे हैं. इस विद्रोहात्मक आंदोलन पर सतत निगाह रखने से यह पुष्ट जानकारी प्राप्त हुई है. कि इस मुहिम को आपके द्वारा भी प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है. जबकि पुलिस अधिकारी कर्मचारी को उच्च स्तरीय आचरण और शासन के निर्देश के प्रति असंदिग्ध निष्ठा जाहिर करना अनिवार्य है.

आप पुलिस रेगुलेशन के पैरा 64 में उल्लेखित सेवा की सामान्य शर्तों से बंधे हुए हैं. इस मुहिम में आपका अपने परिवार को सामने करना भी आपके शासन विभाग के विरुद्ध षड्यंत्र को प्रदर्शित करता है. आपके इस कृत्य से सेवा की सामान्य शर्तों का उल्लंघन होता है. आपके द्वारा कृत्य जनाक्रोश भड़काकर लोग शांति भंग कर अराजकता फैलाने एवं सरकार के प्रति असंतोष पैदा करने के उद्देश्य किया जा रहा है.

आप के इस कृत्य से कभी भी कोई अप्रिय घटना घटित होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. सोशल मीडिया में पोस्ट और समाचार पत्रों को पढ़कर मैं पूर्णतया आश्वस्त हूं. कि यह पुलिसकर्मियों को शासन के विरुद्ध भड़काने वाला कृत्य हैं.

ऐसी प्रवृत्ति के अधिकारी/ कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही करना विभाग के हित में आवश्यक है. ताकि समाज में विभाग की उच्चस्तरीय को की छवि बरकरार रखने के साथ ही विभागीय व्यवस्था सदैव बनी रहे. इस तरह का विरोध कार्य विभाग के अन्य कर्मियों के लिए नकारात्मक प्रभावकारी है. इस कारण इस तरह के कथाकार की पुष्टि के लिए नियमित विभागीय जांच की आवश्यकता नहीं है.

अतः आप के विरुद्ध भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के खंड 2 के उपखंड ‘ख’ के तहत सेवा से पदच्युत करने की कार्यवाही प्रस्तावित की जाती है. आप अपना जवाब पत्र प्राप्ति के 7 दिनों के अंदर अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें”.