Gadhi ka Doodh: वैज्ञानिकों के अनुसार गधी के दूध का बहुत महत्व है. आधुनिक वैज्ञानिक शोध भी इसके स्वास्थ्य लाभों को साबित करते हैं. सिर्फ कॉस्मेटिक आइटम के तौर पर ही नहीं बल्कि पीने के लिए भी यह काफी फायदेमंद होता है. गधा बोझ ढोने वाले जानवर के रूप में जाना जाने लगा है. लेकिन परिवहन के अन्य साधनों के बढ़ते उपयोग के कारण गधों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है. गधों को विलुप्त होने से बचाने और उनके दूध के औषधीय महत्व का लाभ उठाने के लिए भविष्य के दूध में गधों को शामिल करने का प्रयास किया गया है.

अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार (हरियाणा) के निदेशक का कहना है कि हमने इस मामले में लाइसेंस के लिए एफएसएसएआई को लिखा है. हम चाहते हैं कि गधी के दूध को खाद्य पदार्थों में शामिल किया जाए.’ अगर उत्पादन की बात करें तो एक गधी एक दिन में डेढ़ लीटर दूध देती है. यहां यह भी गौरतलब है कि एक लीटर दूध 12 हजार रुपये तक बिकता है.

Gadhi ka Doodh: नवजात शिशु के लिए माँ के दूध के समान

जैसे ही हमें FSSAI से अनुमति मिल जाएगी, हम शोध शुरू कर देंगे कि दूध का उपयोग कहां किया जा सकता है. क्योंकि कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें दूध पीने का शौक होता है और गाय-भैंस के दूध से एलर्जी होती है. ज्यादातर लोगों को गाय-भैंस का दूध आसानी से नहीं पचता या फिर उन्हें अन्य समस्याएं होने लगती हैं. अगर गधी के दूध की बात करें तो यह गाय-भैंस के दूध से भी बेहतर माना जाता है. इतना ही नहीं, छोटे बच्चों के लिए यह मां के दूध के समान है. इसमें वसा की मात्रा मात्र एक प्रतिशत होती है. जबकि गाय-भैंस और मां के दूध में वसा की मात्रा 3 से 6% होती है, पशु जनगणना के अनुसार, वर्ष 2012 में 3.20 लाख गधे थे, जबकि 2019 में उनकी संख्या केवल 1.20 लाख थी.