Lalluram Desk. सोने के दाम आसमान छू रहे हैं. और जब दाम ऊपर जाते हैं… तो लालच भी उसी रफ्तार से उड़ान भरता है. लेकिन इस बार लालच ने सिर्फ लोगों की जेब नहीं हल्की की, बल्कि सरकार को ₹100 करोड़ से ज्यादा का चूना लगा दिया. जी हां, हम बात कर रहे हैं ज्वैलरी कारोबार में हुए टैक्स फ्रॉड की, जिसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पकड़ लिया है.
कैसे हुआ खेल? जानिए गोल्ड मार्केट की ‘चालाकी’
कुछ ज्वैलरी कंपनियों ने ऐसा अकाउंटिंग सिस्टम अपनाया जिससे उनका मुनाफा कम नजर आया, टैक्स भी कम बना और… कंपनी की कमाई ‘कागज़ पर’ छोटी हो गई.
ये गड़बड़ी कैसे हुई?
दो शब्दों में: FIFO और LIFO! FIFO यानी First-In-First-Out – यानी पहले खरीदा गया सोना, पहले बेचा गया मानते हैं. इससे मुनाफा ज्यादा दिखता है.
LIFO यानी Last-In-First-Out – मतलब जो सोना अभी-अभी महंगे दामों में खरीदा गया, वही पहले बेच दिया गया “मान लिया जाता है”. इससे बचा हुआ स्टॉक पुराना और सस्ता दिखता है, मुनाफा भी कम और टैक्स भी बहुत कम!
2017 के बाद LIFO है ‘अवैध’
2016-17 तक कंपनियों को आज़ादी थी कि वे चाहे जैसे स्टॉक की वैल्यू तय करें. लेकिन 2017-18 में आया एक नया नियम – ICDS-II (Income Computation and Disclosure Standards)
इसमें साफ कहा गया –अब सिर्फ दो मेथड मान्य हैं: FIFO, Weighted Average Cost, लेकिन LIFO पूरी तरह बैन है!
फिर भी क्यों चला 5 साल तक ये ‘गोल्डन घोटाला’?
जानकारी के मुताबिक, कुछ ज्वैलर्स ने चुपचाप LIFO अपनाना शुरू किया और हर साल कम टैक्स भरते रहे. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने जब गहराई से पड़ताल की तो सामने आया कि एक अकेली कंपनी को ही ₹100 करोड़ से ज्यादा का टैक्स देना पड़ा! सूत्रों का दावा है – ऐसे कई और नाम रडार पर हैं.
कोर्ट ने भी दी डांट
एक ज्वैलर ने कोर्ट से गुहार लगाई कि LIFO अपनाने की इजाजत दी जाए. लेकिन अदालत ने साफ कहा –“ICDS-II नियम सही है, कोई छूट नहीं मिलेगी.” यानी टैक्स चोरी का बहाना अब नहीं चलेगा.
सोने की कीमतें – हर साल नया रिकॉर्ड!
आइए नजर डालते हैं सोने की कीमतों पर, जो हर साल महंगी होती जा रही हैं:
2018: ₹31,000 प्रति 10 ग्राम
2019: ₹35,000
2021: ₹48,720
2024: ₹77,913
अब (2025): ₹97,681 प्रति 10 ग्राम!
अब सोचिए – जब सोना इतना महंगा हो, और कोई कंपनी ये दिखाए कि उसे “ज्यादा मुनाफा हुआ ही नहीं”, तो शक तो बनता है ना?
टैक्स विभाग के पास है पूरा अधिकार
CA पारस सावला के अनुसार, टैक्स डिपार्टमेंट किसी भी कंपनी के अकाउंटिंग मेथड की पूरी जांच कर सकता है. अगर उसे लगता है कि कंपनी जानबूझकर मुनाफा कम दिखा रही है, तो नियमों के तहत उसे भारी टैक्स भरना पड़ेगा – और पेनल्टी भी.
कौन-सा स्टॉक, कौन-सी चाल?
अगर कोई कंपनी ऐसी ज्वैलरी बना रही है जो एक जैसी हो – जैसे सोने की अंगूठियां या नेकलेस – तो वहां LIFO की कोई गुंजाइश नहीं. ICDS-II कहता है – ऐसे मामलों में सिर्फ FIFO या वेटेड एवरेज ही अपनाना होगा.
सोने की दुकान के पीछे का ‘काला सच’
सोने की चकाचौंध भले ही लोगों को आकर्षित करे… लेकिन उसके पीछे जो अकाउंटिंग के ‘काले खेल’ चल रहे हैं, वो सरकार की नजर से अब बच नहीं पा रहे.
LIFO की आड़ में टैक्स चोरी अब बीते कल की बात बनने वाली है.
इनकम टैक्स विभाग की जांच जारी है… और अगली बार जब आप किसी ज्वैलर से सोना खरीदें, तो शायद वो अपने टैक्स हिसाब में भी सुधार कर रहा होगा.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें