Lalluram Desk. अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई की खबर पढ़ते वक्त आप कई बार सोचते होंगे, बार-बार लगातार कार्रवाई के बाद भी इस पर लगाम क्यों नहीं कसा जाता. और कार्रवाई में भी बड़ी मछली नहीं फंसती. हां, अपने खून-पसीने की कमाई से ऐसी जमीन को खरीदने वाले लोग जरूर रोते हुए, व्यवस्था को कोसते हुए नजर आते हैं. तो हम आपको बताने जा रहे हैं इसके पीछे की कमीशनखोरी का खेल, जिसमें एक तरफ पटवारी, आरआई से लेकर तहसीलदार तक, तो दूसरी ओर थाना प्रभारी से लेकर सीएसपी शामिल रहते हैं.

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शहर के आउटर में अवैध प्लॉटिंग का खेल धड़ल्ले से खेला जा रहा है. शहर के बड़े भू-माफिया किसानों से 30 से 40 लाख रुपए प्रति एकड़ में सौदा कर उसी खेत को से दो से ढाई करोड़ में बेचते हैं. इसमें से 80 लाख से एक करोड़ तक की रकम जनप्रतिनिधियों, पटवारी, आरआई, तहसीलदार, जोन अफसर, थाना प्रभारी और सीएसपी के बीच कमीशन बंटता है. इतना कमीशन बांटने के बाद भी भू- माफियाओं को लाखों की बचत होती है.

जमीन का ये धंधा ऐसा हो गया है, जिससे जुड़ा हर व्यक्ति लखपति बन जाता है. यही वजह है कि रोज कार्रवाई होने के बावजूद अवैध प्लॉटिंग धड़ल्ले से हो रही है. अवैध प्लॉटिंग से जुड़े लोग और टाउन प्लानर इसका पूरा गणित इस तरह से समझाते हैं. एक एकड़ में 44 हजार वर्गफुट जमीन रहती है. अवैध प्लाटिंग करने वाले 10 से 12 फीट सड़क के लिए जमीन छोड़कर बाकी को बेच देते हैं.

14 हजार वर्गफीट जमीन निकालने के बाद करीब 30 हजार वर्गफीट जमीन बेची जाती है. जमीन दलाल 800 रु. वर्गफीट पर जमीन बेचते हैं, तो 30 हजार वर्गफीट प्लाट की बिक्री से 2.40 करोड़ करोड़ मिलते हैं. भूमाफिया किसानों से एक एकड़ खेत 30 से 40 लाख में खरीदते हैं. बचे हुए दो करोड़ में 80 लाख से एक करोड़ तक विभागों में कमीशन बांटते हैं. यह कमीशन का खेल ही इस अवैध कारोबार को बरकरार रखे हुए है.

आखिर क्यों हो भू-माफिया को खौफ

शहर में निगम वालों ने जहां अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई की है, वहां भी जमीन दलाल धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग कर रहे हैं. वे लोगों को बिना किसी खौफ के जमीन बेच देते हैं. सस्ती जमीन के लालच में लोग उनसे जमीन खरीद लेते हैं. ऐसे लोगों से बचने के लिए निगम वाले अब उन सभी जगहों पर बोर्ड लगा रहे हैं जो सरकारी जमीन है या फिर जिसका ले-आउट पास नहीं है. लेकिन ऐसे बोर्ड हर जगह पर दिखाई नहीं देते हैं. इसका फायदा जमीन दलाल उठा रहे हैं.

कमीशनखोरी का खेल

  • अवैध प्लॉटिंग में नेता, अफसर और पुलिसवालों का कमीशन का कुल मिलाकर 10 प्रतिशत तक हिस्सा होता है. यह पैसे सीधे हाथ में नहीं दिया जाता, बल्कि दो-तीन लोगों के हाथों से होते हुए पहुंचता है.
  • संबधित जोन कमिश्नर और बाकी अफसरों के बीच 10 प्रतिशत रकम बांटी जाती है.
  • आरआई-पटवारी को काम में दखल न देने के एवज में पांच से दस प्रतिशत तक का कमीशन मिलता है. वहीं डायवर्सन को मंजूरी और दस्तावेजों पर कार्रवाई न करने के एवज में तहसीलदार को 10% तक कमीशन मिलता है.

शिकार न हो इसके लिए जानना जरूरी

  • जमीन खरीदने से पहले लेआउट और डायवर्सन देखें.
  • इससे पता चलता है कि जमीन का उपयोग कृषि के लिए है, या फिर आवासीय के लिए.
  • टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से ले-आउट की जानकारी लें.
  • 25 मीटर चौड़ी सड़कें, सीवरेज, बिजली, गार्डन आदि के लिए जमीन है या नहीं.
  • डायवर्सन और लेआउट स्वीकृत होने के बाद ही प्लॉट की खरीदी करें.