पटना। गेमिंग एप के जरिए लोगों से ठगी करने वाले एक संगठित साइबर गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। चार साइबर ठगों को जेल भेजे जाने के बाद पुलिस ने उनके पास से जब्त दो लैपटॉप और चार पेमेंट स्कैनर मशीनों से जुड़े बैंक खातों की जांच शुरू कर दी है। ये चारों आरोपी अकाउंट हैंडलर की भूमिका निभा रहे थे जबकि इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड कोई और है, जिसकी तलाश जारी है।
कैसे बिछाया जाता था ठगी का जाल
गिरोह इंटरनेट मीडिया पर आकर्षक विज्ञापनों के जरिए फर्जी गेमिंग एप के लिंक अपलोड करता था। यूजर अनजान रहता था कि वह जिस गेम को खेल रहा है उसका कंट्रोल पूरी तरह साइबर ठगों के पास है। शुरुआत में यूजर को कम पैसे लगाने पर जानबूझकर जिताया जाता था ताकि उसका भरोसा बने। जैसे ही वह ज्यादा रकम दांव पर लगाता उसे लगातार हार का सामना करना पड़ता था।
APK फाइल से कराते थे एप इंस्टॉल
ठग यूजर्स को APK फाइल भेजकर मोबाइल में गेमिंग एप इंस्टॉल कराते थे। इसके बाद स्कैनर और क्यूआर कोड के जरिए अलग-अलग बैंक खातों में पैसे मंगाए जाते थे। यूपीआई और सीधे बैंक ट्रांसफर दोनों माध्यमों का इस्तेमाल होता था। कई मामलों में व्हाट्सएप पर क्यूआर कोड भेजकर सीधे रकम वसूली जाती थी।
फर्जी विजेताओं से बढ़ाते थे भरोसा
यूजर्स को फंसाने के लिए गिरोह एक लिंक भेजकर उन्हें व्हाट्सएप या टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ता था। वहां गेम के नियम समझाए जाते और फर्जी विजेताओं की तस्वीरें व मोबाइल नंबर शेयर किए जाते थे। असल में ये सभी नंबर गिरोह के ही सदस्य होते थे जो विजेता बनकर बात करते थे।
मोबाइल और बैंकिंग पर भी कब्जा
कुछ यूजर्स को खास लिंक भेजकर उनके मोबाइल और बैंकिंग सिस्टम का कंट्रोल भी ले लिया जाता था। इसके बाद पीड़ितों के खातों से रकम ट्रांसफर कर गिरोह के सदस्यों के खातों में निकाल ली जाती थी। पुलिस अब पूरे चेन नेटवर्क और मास्टरमाइंड तक पहुंचने में जुटी है।
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