Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाने का विधान स्कंद पुराण, मुद्गल पुराण और गणेश पुराण में विस्तार से वर्णित है. गणेश पुराण के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को माता पार्वती ने अनिलमंडल (हल्दी-चंदन से बने शरीर) से गणेश का सृजन किया और गणपति का यह प्रथम प्राकट्य इसी तिथि पर हुआ.

स्कंद पुराण में उल्लेख है कि चतुर्थ्यां भाद्रपदे मासि शुक्लायां विघ्ननायक — अर्थात भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को ही विघ्ननायक की पूजा विशेष फलदायी है. इसी दिन गणपति के पूजन से वर्षभर के विघ्न नष्ट होते हैं.
मुद्गल पुराण में बताया गया है कि यह समय दक्षिणायन के भीतर आता है, जब सूर्य की गति उत्तर से दक्षिण की ओर रहती है. इस काल को ऋषि-मुनि तप और साधना का श्रेष्ठ समय मानते थे. वर्षा ऋतु के अंत और शरद ऋतु के आरंभ के बीच का यह संक्रमण काल वातावरण को पवित्र और ऊर्जा संपन्न बनाता है, जिससे पूजा-अर्चना के परिणाम अधिक प्रभावी होते हैं.
इसी कारण, भाद्रपद मास की चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक गणपति स्थापना और विसर्जन का पर्व मनाने का शास्त्रीय नियम है. भाद्रपद का यह गणेश उत्सव केवल भक्ति का पर्व नहीं, बल्कि पुराण सम्मत परंपरा है, जो विघ्नहर्ता के आशीर्वाद का वचन देती है.
इस वर्ष की तिथि
गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025, बुधवार को होगी, शुभ मुहूर्त प्रातः 11:07 से दोपहर 1:33 बजे तक रहेगा. गणेश विसर्जन 6 सितंबर, शनिवार को अनंत चतुर्दशी पर होगा. इस दिन भक्त गणपति बप्पा मोरया के जयकारों के साथ बप्पा को विदाई देंगे.
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