रायपुर। आज पूरी दुनिया कोरोना नाम की वैश्विक महामारी के दौर से गुजर रहा है. महामारी के इस दौर में हमारे सामने कई चुनौतियां आ खड़ी हुई हैं. ये चुनौतियां कई मोर्चे पर है. ये चुनौती आर्थिक मोर्चे पर है. सामाजिक मोर्चे पर है. ये चुनौती व्यक्तिगत भी है, सामाजिक और मानसिक भी है. इन तमाम चुनातियों से कैसे निपटें ? कौन सा वो रास्ता है, जो हमें इस संकट से निकाल सकता है. दुनिया एक बार फिर ऐसे माहौल में गांधी की तरफ देख रही है. उनके जीवन, उनके विचार में, उनके दर्शन में दुनिया का एक बड़ा तबका मौजूदा संकट का समाधान खोजने की कोशिश कर रहा है.
इसी के मद्दनेजर lalluram.com 2 अक्टूबर, शुक्रवार, दोपहर 12 बजे एक वेबीनार कर रहा है. इस वेबीनार में साहित्यकार एवं चितंक पुरुषोत्तम अग्रवाल, प्रख्यात पत्रकार श्रवण गर्ग और संयोजक, नेशनल मूवमेंट फ्रंट डॉ. सौरभ बाजपेयी जुड़ेंगे और मौजूदा संकट के मद्देनजर ये बताएंगे की गांधी इस संकट के मौके पर क्या करते ? उनके दर्शन में कहां इन चुनातियों का समाधान है. ये वेबिनार आप लल्लूराम डॉट कॉम के फेसबुक पेज पर देख सकते हैं.
गांधी विचारक, साहित्यकार एवं चितंक पुरुषोत्तम अग्रवाल का जन्म 25 अगस्त 1955 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. उन्होंने कई पुस्तकों का लेखन किया है. पुरुषोत्तम अग्रवाल की छवि एक चिन्तक और आलोचक के रूप में है, लेकिन इधर उन्होंने मूल्यवान रचनात्मक लेखन भी किया है. इनकी छवि एक लोक बुद्धिजीवी की बनी. सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विषयों पर टी.वी. पर बहसों से वे देशभर में लोकप्रिय हुए. आज एक लोक बुद्धिजीवी के रूप में प्रोफेसर अग्रवाल का महत्त्व निर्विवाद है. वर्तमान में राजकमल प्रकाशन की भक्ति श्रृंखला के संपादक हैं.
प्रख्यात पत्रकार श्रवण गर्ग ने हिन्दी पत्रकारिता में कई योगदान दिए हैं. गर्ग ने हिन्दी, गुजराती, अंग्रेजी और अब फिर हिन्दी पत्रकारिता में झंडे गाड़े हैं. करीब 40 साल के पत्रकारीय जीवन में उन्होेंने चार साल गुजराती पत्रकारिता को और करीब 13 साल अंग्रेजी पत्रकारिता को समर्पित किए हैं. उनका अधिकांश पत्रकारीय जीवन हिन्दी जगत में ही बीता है. 14 मई 1947 को जन्मे श्रवण गर्ग ने दुनिया के कई देशों में यात्राएं की है. श्रवण गर्ग का परिवार राजस्थान से आकर इंदौर में बस गया था और इंदौर में वे वेद प्रताप वैदिक के पड़ोसी थे.
डॉ. सौरभ बाजपेयी नेशनल मूवमेंट फ्रंट संयोजक और दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर है. गांधी पर उनका अच्छा अध्यन है. उनके विचारों पर अलग-अलग पत्रिकाओं में लेख लिखते रहते हैं.