लोकेश प्रधान, बरमकेला, रायगढ़। गांधी की जंयती है. वक्त उनके भी गांधी बनने का है जो गांधी को न जानते हैं न मानते हैं. लेकिन जिनके दिल में गांधी के प्रति श्रद्धा है उनकी श्रद्धा खुद-ब-खुद दुनिया को दिख जाती है. ऐसे ही एक शख्स हैं खेमानिधि माली.

खेमानिधि माली 80 साल के बुज़ुर्ग हैं. जो रायगढ जिले के छोटे से कस्बे बरमकेला में रहते हैं. उनकी वजह से बरमकेला के महात्मा गांधी की प्रतिमा हमेशा साफ सुथरी और चमकती रहती है. खेमानिधि की निष्ठा इस प्रतिमा को लेकर देखने वाली है.

वे रोज़ाना 8 किलोमीटर साईकिल से चलकर महात्मा गांधी चौक पहुंचते हैं. इसके बाद उनका काम शुरु हो जाता है. पहले प्रतिमा पर लगी धूल को हटाकर पानी डालते हैं. उसके बाद तौलिए से पूरी प्रतिमा को पोंछते हैं. खेमानिधि ये काम बिना एक दिन नागा किए रोज़ाना करते हैं. सालों से ये सिलसिला चल रहा है.

गांधी जी के प्रति उनकी श्रद्धा देखकर पहले लोग उन्हें पागल समझते थे. लेकिन बाद में जब वे लगातार उन्हें ये करता देखने लगे. तो उन्हें समझ में आया कि ये खेमानिधि की गांधी के प्रति सच्ची भक्ति है. खेमानिधि कहते हैं कि जबतक सांसे नहीं टूटती, सिलसिला भी नहीं टूटेगा.