सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क नामीबियाई चीतों का घर है। इनकी सेफ्टी के लिए शासन और वन विभाग लगातार कवायद कर रहा है। लेकिन शिकार की खोज में इनका बाहर जाना प्रशासन की चिंता की वजह भी बन गया है। यही वजह है कि अब इनकी सुरक्षा के लिए गांधी सागर अभयारण्य को इनके नए आशियाने के रूप में तैयार किया जा रहा है। इस वजह से अभयारण्य में मौजूद तेंदुओं को पकड़कर वहां से दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है। साथ ही चीतों के खुराक का ख्याल भी रखा जा रहा है जिसके लिए चीतलों का भी इंतजाम किया जा रहा है।   

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दरअसल तेंदुओं से चीतों को खतरा रहता है। इसलिए 5 तेंदुए पकड़कर दूसरे जंगल में छोड़े गए हैं। गांधी सागर अभयारण्य से तेंदुओं को पकड़कर अन्य जगह स्थानांतरित किया जाएगा। वन विभाग ने पांच तेंदुओं को अभयारण्य से पकड़कर दूसरे जंगल में छोड़ दिया है। अन्य तेंदुओं की भी तलाश और उन्हें पकड़ने का अभियान चलाया जा रहा है। यहां कान्हा, सतपुड़ा और संजय बाघ अभयारण्यों से चीतों की खुराक के लिए 300 से अधिक चीतल लाए जा रहे हैं। 

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मंदसौर जिले में गांधी सागर अभयारण्य 64 वर्ग किमी में फैला हुआ है। जो तार वाली बाड़ से सुरक्षित है। गौरतलब है कि बीते दिनों केन्या और दक्षिण अफ्रीका की टीमों ने भी चीतों के पुनरुद्धार की स्थितियों का आंकलन करने के लिए गांधी सागर अभयारण्य का दौरा किया था। इसके बाद तैयारी तेज गति से की जा रही है।

 चीता परियोजना के तहत, 17 सितंबर, 2022 को 8 नामीबियाई चीतों, 5 मादा और 3 नर को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो राष्ट्रीय उद्यान के बाड़ों में छोड़ा गया था। फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए।इस माह की शुरुआत में मादा चीता गामिनी से जन्मे एक शावक की मौत के साथ अब चीतों की संख्या 26 है, जिसमें नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 13 वयस्क शामिल हैं।

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