रायपुर। डूंडा में मुख्यमंत्री भाषण दे रहे थे, बारिश हो रही थी. कुछ देर बाद बारिश कम हो गई. जैसे हल्की फूहारें…. भाषण समाप्त करने के बाद गाँधी विचार पदयात्रा अब राजधानी की ओर बढ़ चुकी थी. पदयात्रा में सीएम भूपेश बघेल साथ-साथ चल रहे थे. बारिश फिर से तेज हो गई. अधिकारी छाता लेकर सीएम की ओर बढ़े, सीएम ने कहा रहने दीजिए. बारिश नहीं रुकी और नहीं रुके भूपेश बघेल के कदम. वे भीगते रहे, उनके पीछे कारवाँ चलते रहा. जैसे वे कह रहे हो…मोर संग चलव जी…मोर संग चलव ग.

गाँधी विचार पदयात्रा डूंडा, संतोषी नगर, संजय नगर, कालीबाड़ी होते हुए गाँधी मैदान पहुँची. तकरीबन 8 से 10 किलोमीटर की दूर तय कर. इसी फासले को बिना रुके सीएम भूपेश बघेल ने तय किया. बारिश में भीगते हुए, बिना रुके, थके, अनवरत चलते हुए. बीच-बीच में लोगों ने अपने मुखिया का स्वागत किया. फूल-माला लेकर पहुँचे और कुछ महिलाएँ झोला लेकर भी. जी हाँ प्लास्टिक बैन का संदेश देते हुए झोला लेकर. सीएम ने एक झोला समूह की महिलाओं से लिया. उन्हें गाँधी के विचारों को अपनाने के लिए धन्यवाद दिया.

इस यात्रा के दौरान जहाँ एक ओर सीएम भीगते हुए पैदल चल रहे थे, वहीं ऐसी कमरों में दिन-रात गुजराने वाले कुछ अधिकारी ऐसे भी थे, जो गाड़ी में थे, कुछ पदयात्रा में थे, तो छाता लिए हुए थे. कुछ ऐसे नेता भी दिखाई दिए जो पदयात्रा में अपनी गाड़ी के साथ चल रहे थे. लेकिन छत्तीसगढ़ के मुखिया भीगे तो भीगे, पर चले वे पैदल ही. उनके साथ चलने वाले कुछ लोग गुनगुना रहे थे….बंदे में है दम…वंदेमातरम्…कई पड़ाव को पार कर आखिरकार 4 अक्टूबर से शुरू गाँधी पदयात्रा कंडेल से राजधानी रायपुर पहुँच गई. गाँधी मैदान में पहुँची.