गणेश जी के वाहन के रूप में छोटे से चूहे की कहानी भारतीय पौराणिक कथाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके साथ हमेशा एक छोटा-सा चूहा दिखाई देता है, जो उनका वाहन है। लेकिन सवाल उठता है कि कैसे इतना छोटा और कमजोर जीव, भगवान गणेश जैसे शक्तिशाली देवता का वाहन बना? इस कथा में गहरे धार्मिक और जीवन से जुड़े कई संदेश छिपे हैं।

चूहे के वाहन बनने की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार महर्षि पराशर के आश्रम में एक शक्तिशाली असुर ‘गजमुखासुर’ का आतंक था। गजमुखासुर ने अपनी तपस्या से वरदान प्राप्त कर लिया था, जिससे उसे असीम शक्ति मिल गई थी। वह ऋषियों और साधु-संतों को परेशान करने लगा और उसके आतंक से पूरा क्षेत्र भयभीत था।

इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए भगवान गणेश को बुलाया गया। गणेश जी ने गजमुखासुर से युद्ध किया और उसे हराया। गणेश जी की शक्ति के आगे गजमुखासुर ने आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन उसने भगवान गणेश से माफी मांगते हुए एक आखिरी इच्छा व्यक्त की कि वह उनका वाहन बनना चाहता है। गणेश जी ने उसकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली और उसे अपने वाहन के रूप में स्थापित किया। इस तरह एक विशाल असुर, भगवान गणेश के लिए छोटा-सा चूहा बन गया।

चूहे के वाहन बनने का प्रतीकात्मक अर्थ


चूहे के रूप में असुर के गणेश जी का वाहन बनने की कहानी केवल एक धार्मिक कथा नहीं है, बल्कि इसमें गहरा प्रतीकात्मक अर्थ छिपा हुआ है। चूहा एक ऐसा प्राणी है, जो निरंतर वस्तुओं को कुतरता रहता है। यह मनुष्य की मानसिकता और नकारात्मक विचारों का प्रतीक है, जो हमेशा इंसान की बुद्धि को प्रभावित करते रहते हैं।

गणेश जी, जिन्हें ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है, उनका चूहे को अपने वाहन के रूप में रखना यह दर्शाता है कि वह नकारात्मकताओं और मानसिक अवरोधों को नियंत्रित करने की शक्ति रखते हैं। यह संदेश देता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ या नकारात्मकताएँ क्यों न हों, अगर व्यक्ति गणेश जी की तरह दृढ़ संकल्प और बुद्धि का सहारा ले, तो वह हर चुनौती का सामना कर सकता है।

इससे क्या मिलती है सीख

संकटों का सामना
गजमुखासुर जैसा बड़ा संकट, जो चूहे के रूप में बदल गया, यह सिखाता है कि जीवन में आने वाले बड़े संकटों का भी डटकर सामना किया जा सकता है। सही दृष्टिकोण और बुद्धि से हर कठिनाई को छोटा किया जा सकता है।

नकारात्मकताओं पर नियंत्रण
चूहा जो वस्तुएं कुतरता है, वह हमारे मन में उभरने वाले नकारात्मक विचारों का प्रतीक है। गणेश जी हमें सिखाते हैं कि इन नकारात्मकताओं को कैसे नियंत्रण में रखा जा सकता है और सकारात्मकता के साथ जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है।

विनम्रता और बल का संतुलन
गणेश जी ने चूहे को अपने वाहन के रूप में अपनाकर यह सिखाया कि विनम्रता और बल दोनों का संतुलन आवश्यक है। उन्होंने अपनी अपार शक्ति का प्रदर्शन किए बिना चूहे को अपने अधीन कर लिया और उसे अपने साथ जोड़ा।

सभी का महत्व गणेश जी का चूहा यह भी सिखाता है कि जीवन में कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता। सभी का अपना महत्व होता है, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो। भगवान गणेश ने यह दिखाया कि एक छोटा-सा जीव भी महान कार्यों में योगदान दे सकता है।

इस प्रकार, गणेश जी और उनके वाहन चूहे की यह कथा हमें जीवन में आने वाली चुनौतियों से निपटने, नकारात्मकताओं पर काबू पाने और सभी जीवों के प्रति समानता और आदर का भाव रखने की प्रेरणा देती है।

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