प्रतीक चौहान. आरपीएफ में एक वक्त था जब एक सख्त डीजी हुआ करते थे, जिनका नाम है अरूण कुमार. इनके नाम की खौफ इतनी थी कि देश के विभिन्न रेलवे स्टेशनों में अवैध वेंडर/हॉकर चलने बंद हो गए थे. इसके पीछे की वजह ये थी कि यदि किसी भी रेलवे स्टेशन से अवैध वेंडिंग की लगातार शिकायते मिली तो वहां के इंस्पेक्टर की खैर नहीं होती थी. लेकिन अब थोड़ा वक्त बदल गया है. रायपुर रेलवे स्टेशन से लगातार अवैध वेंडिंग के मामले सामने आ रहे है. यहां अवैध वेंडरों के हौंसले इतने बुलंद हो गए है कि आरपीएफ की क्राइम ब्रांच पोस्ट के सामने ही वे अपना अवैध कारोबार करते. लल्लूराम डॉट कॉम ने अवैध वेंडरों के खिलाफ मुहिम चलाई है, जिसके बाद ये गिरोह रायपुर रेलवे स्टेशन से गायब हो गया था. लेकिन अब एक बार फिर ये गिरोह एक्टिव हो गया है.

 रायपुर रेलवे स्टेशन में एक बार फिर नादान का अंडा बिरयानी बेचने वाला गिरोह एक्टिव हो गया है. ये वहीं गिरोह है जिसके पास रायपुर रेलवे स्टेशन में खाद्य पदार्थ बेचने का कोई भी लाइसेंस नहीं है, लेकिन जिन लोगों को इनके खिलाफ कार्रवाई करनी है उससे साठ-गाठ कर के ये गिरोह अवैध वेंडिंग कर रहा है.

इनकी अंडा बिरयानी खाई तो बीमार होना तय

रायपुर रेलवे स्टेशन में खाद्य पदार्थ बेचने वालों को रेलवे की तरफ से अधिकृत किया जाता है. समय-समय पर वहां के खाद्य पदार्थ की क्वालिटी चेक की जाती है. यही कारण है कि यदि अधिकृत वेंडर से खाना लेने पर यात्री को कोई समस्या आई तो वे इसकी शिकायत रेलवे से कर सकते है. लेकिन इन अवैध वेंडरों से खाना लेना यात्रियों के लिए इसलिए हानिकारक है क्योंकि इनका खाना किस किचन में बनता है, वह किस क्वालिटी का है, इसकी कोई भी जानकारी न तो रेलवे के पास है और न यात्री के पास. यही कारण है कि इन अवैध वेंडरों से खाना लेना यात्रियों की सेहत के लिए हानिकारक है.

पार्सल गेट से होती है अवैध वेंडरों की इंट्री

नादान गिरोह के ये अवैध वेंडर पार्सल लाने-ले जाने वाले गेट से इंट्री करते है. जिसके 100 कदम की दूरी पर आरपीएफ का क्राइम ब्रांच का ऑफिस मौजूद है. लेकिन फिर भी ये बे खौफ होकर यहां अवैध वेंडिग करते है.

फाइन भी, काम भी

अवैध वेंडिंग कराने वाले गिरोह का मुख्य सदस्य नादान

अवैध वेंडरों की सेटिंग इतनी तगड़ी होती है कि जब कभी जांच हो तो आरपीएफ ये कहती है कि इस वेंडर के खिलाफ कुछ दिनों पहले ही कार्रवाई की गई थी. यानी कागजों में दिखाने के लिए इनसे जुर्माना भी होता है और ये अगले दिन या जुर्माना पटाने के बाद फिर से यही आकर वो अवैध वेंडिंग का काम भी शुरू कर देते है.

क्या बिना पैसे लिए इन अवैध वेंडरों को चलने देती होगी आरपीएफ और कमर्शियल ?

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या आरपीएफ, क्राइम ब्रांच और कमर्शियल विभाग के अधिकारी इन अवैध वेंडरों को बिना पैसे लिए रायपुर रेलवे स्टेशन में चलने देते होंगे ? यदि ऐसा है तो क्या रायपुर रेलवे स्टेशन के बाहर मौजूद तमाम होटल, ऐसे होटल जो रेलवे स्टेशन में मौजूद है… लेकिन रेलवे प्लेटफार्म में बेचने के लिए अधिकृत नहीं है क्या उन्हें भी अवैध वेंडिंग की छूट बिना रिश्वत लिए देंगे ? या रिश्वत लेकर उनका काम भी हो जाएगा ?

एसआईबी ने अब तक क्यों बनाकर नहीं भेजी रिपोर्ट ?

पिछले दिनों रायपुर रेल मंडल के ही एक स्टेशन में वेंडरों से लेन-देन की शंका के बीच आरपीएफ के एक सब इंस्पेक्टर का तबादला कर दिया गया. सूत्र बताते है कि इसके पीछे रेलवे के स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच (एसआईबी) की रिपोर्ट थी. लेकिन रायपुर रेलवे स्टेशन में चल रहे इस अवैध वेंडिग के खेल में इंटेलिजेंस पूरी तरह फेल साबित हुआ है. क्योंकि अब तक उन्होंने इसकी कोई भी रिपोर्ट बनाकर आरपीएफ आईजी को नहीं भेजी. संभवतः यही कारण है कि यहां वेंडिग के खेल में लगाम नहीं लग रहा है.