गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है क्योंकि गंगा को मोक्षदायिनी और पापों का नाश करने वाली देवी माना गया है. इस दिन गंगा में डुबकी लगाना, दान-पुण्य करना और गंगा आरती में भाग लेना अत्यंत फलदायी माना जाता है. यह पर्व भक्तों के लिए आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का एक श्रेष्ठ अवसर है. इस बार गंगा दशहरा गुरुवार, 5 जून को मनाया जाएगा.

यह पर्व गंगा नदी के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है और इसे “गंगावतरण” भी कहा जाता है. इस वर्ष गंगा दशहरा पर दशमी तिथि, हस्त नक्षत्र और व्यतीपात योग का त्रिवेणी संयोग बन रहा है. यह संयोजन अत्यंत शुभ माना जाता है और धार्मिक दृष्टिकोण से इसका विशेष महत्व है.

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प्रमुख आयोजन स्थल और कार्यक्रम

हरिद्वार (हर की पौड़ी)

सुबह : भक्त गंगा स्नान के लिए एकत्रित होते हैं.
शाम : विशेष गंगा आरती का आयोजन होता है, जिसमें दीपदान और भजन-कीर्तन शामिल होते हैं.

वाराणसी (दशाश्वमेध घाट)

सुबह : गंगा स्नान और पूजा.
शाम : महाआरती का आयोजन होता है, जिसमें सैकड़ों दीप जलाए जाते हैं और भक्त भजन-कीर्तन में भाग लेते हैं.

प्रयागराज (संगम)

दिनभर : संगम पर स्नान, दान और पूजा का आयोजन होता है.
शाम : विशेष आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं.

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पटना (गांधी घाट)

शाम : गंगा आरती का आयोजन होता है, जिसमें भक्त दीपदान करते हैं और भजन-कीर्तन में भाग लेते हैं.

ऋषिकेश और गंगोत्री

दिनभर : गंगा स्नान, पूजा और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं.
शाम : गंगा आरती और दीपदान का आयोजन होता है.