रायपुर. वैसाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन ही गंगा जी की उत्पत्ति हुई थी. जान्हु ऋषि के कान से प्रवाहित होने के कारण जान्हु सप्तमी भी कहा जाता है. जान्हु ऋषि की पुत्री होने के कारण गंगा का एक नाम जान्हवी भी है. गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा स्वर्ग लोक से शिव जी की जटा में पहुंची थीं. हिन्दूओं की आस्था का केंद्र गंगा ब्रह्मा जी के कमंडल से जन्म हुआ माना जाता है. एक अन्य मान्यता के अनुसार गंगा श्री विष्णु जी के चरणों से अवतरित हुई, जिसका पृथ्वी पर अवतरण राजा सगर के साठ हजार पुत्रों का उद्दार करने के लिए इनके वंशज राजा दिलीप के पुत्र राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों का उद्धार करने के लिए पहले मां गंगा को प्रसन्न किया उसके बाद भगवान शंकर की कठोर आराधना कर नदियों में श्रेष्ठ गंगा को पृथ्वी पर उतरा व अंत में मां गंगा भागीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम में गई एवं देवनदी गंगा का स्पर्श होते ही भागीरथ के पूर्वजो, राजा सगर के साठ हजार पुत्रों का उद्धार हुआ.
इसलिए इस गंगा-पूजन का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा में स्नान करने तथा पूजन से सभी दुख-क्लेश दूर होते हैं. इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है. अगर आप गंगा नदी में स्नान न कर सकें तो गंगा के जल की कुछ बूंदें पानी में डाल कर स्नान करें. इस प्रकार के स्नान से भी सिद्धि प्राप्त होती है. यश-सम्मान की भी प्राप्ति होती है. मांगलिक दोष से ग्रस्त व्यक्तियों को गंगा सप्तमी के अवसर पर गंगा-स्नान और पूजन से विशेष लाभ मिलता है.
- गंगा सप्तमी का उपवास कर व्यक्ति रोग, शोक तथा दुखो से मुक्त हो जाता हैं. इस दिन स्नान करके पवित्र हो माँ गंगा व शिवजी भगवान का पूजन किया जाता हैं. मोक्ष की देवी माँ गंगा में गंगा सप्तमी को गंगा स्नान करने से विशेष फल मिलता हैं.
- विधि-विधान से किए गए गंगा का पूजन अमोघ फल प्रदान करता है.
- कहा जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने से दस पापों का हरण होकर अंत में मुक्ति मिलती है.
- गंगा सप्तमी के पर्व पर मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं.
- इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.
- गंगा सप्तमी के दिन गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है.