लखनऊ. गंगा अब पहले जैसी नहीं रही. इसका पानी अब दूषित हो रहा है. अब गंगा नदी का पानी आचमन और पीने लायक नहीं है. ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal) का मानना है. जिस गंगा को हम और आप परम पवित्र मानते हैं उसे दूषित किया जा रहा है. नमामी गंगे योजना की डींगे हांकने वाली केंद्र सरकार अब इन सब पर मौन है. अब इस योजना का जिक्र भी शायद ही सुनाई देता है. चुनावों के बाद ये योजना ऐसे गायब हुआ है मानों ‘गधे के सिर से सिंग’. गंगा की ऐसी हालत कर सरकार देश की जनता के साथ धोखा करने का काम कर रही है.

बता दें कि प्रदेश में सीवेज या दूषित पानी गंगा में बहाया जा रहा है. इस वजह से पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है. इस पर एनजीटी ने नाराजगी जाहिर की है. ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. ट्रिब्यूनल ने विभिन्न जिलों में हर नाले, सीवेज और सीवेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) के बारे में जानकारी मांगी है.

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जानकारी के मुताबिक एनजीटी (NGT) का कहना है कि यूपी में 247 नाले सीधे गंगा में गंदगी बहाए जा रहे हैं. जिस प्रयागराज में कुम्भ होना है, वहां 40 नालों से गंदगी गंगा में जा रही है.

सवाल ये है कि आखिर सरकार कर क्या रही है. नमामी गंगे योजना सिर्फ जनता को धोखा देने के लिए थी, या इस योजना के नाम पर केवल वोट हासिल करने के लिए? लगता है इस समस्या पर ना केंद्र का ध्यान है और ना ही राज्य का. और यदि इस योजना पर काम चल रहा है तो फिर नालों का ये गंदा पानी नदियों में कैसे छोड़ा जा रहा है. क्या ऐसे होगी गंगा नदी ही सफाई?