सदफ हामिद, भोपाल। उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी गैंगस्टर एक्ट जल्द लागू हो सकता है। एक्ट का ड्राफ्ट गृह विभाग ने फाइनल कर लिया है। ऑर्गनाइज्ड क्राइम (organized crime) रोकने के लिए मध्यप्रदेश पुलिस (Madhya Pradesh Police) का पावर बढ़ेगा। विधानसभा के शीतकालीन (winter session of the assembly) सत्र में सरकार विधेयक प्रस्तुत कर सकती है। इसके लागू होने के बाद कलेक्टर अपराधियों की आय से अधिक संपत्ति सीधे कुर्क कर सकेंगे। इसके लिए कोर्ट से इजाजत लेनी की झंझट खत्म हो जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) की सैद्धांतिक सहमति के बाद कैबिनेट में पेश किया जाएगा।
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बता दें कि पिछले दिनों गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने गैंगस्टर एक्ट लागू करने की बात कही थी। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि- प्रदेश सरकार संगठित अपराधों को रोकने के लिए बहुत जल्द गैंगस्टर एक्ट लेकर आ रही है। समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त अपराधियों व संगठित अपराध की श्रेणी में आने वाले जहरीली शराब व खनिज माफिया जैेसे अन्य अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई के लिए यह कानून बनाया जा रहा है।
प्रदेश सरकार संगठित अपराधों को रोकने के लिए बहुत जल्द गैंगस्टर एक्ट लेकर आ रही है। समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त अपराधियों व संगठित अपराध की श्रेणी में आने वाले जहरीली शराब व खनिज माफिया जैेसे अन्य अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई के लिए यह कानून बनाया जा रहा है। pic.twitter.com/fY63DynBom
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) September 10, 2021
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ऐसा हो सकता है गैंगस्टर एक्ट का मसौदा
- संगठित गिरोह और समाज विरोधी गतिविधियों को इस एक्ट में शामिल किया जाएगा.
- गैंगस्टर एक्ट में अवैध और जहरीली शराब के कारोबारी, गौ हत्यारे, अवैध खनन माफिया, भूमाफियाओं पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
- इस एक्ट में धारा 14 के तहत जिला मजिस्ट्रेट को अपराधियों की संपत्ति को कुर्क करने का विशेष प्रावधान रहेगा.
- इस एक्ट में धारा 5 के तहत स्पेशल कोर्ट बनाई जाएगी, जिससे सुनवाई और सजा जल्द हो सके.
- इस एक्ट में धारा 11 के तहत गवाहों को खास सुरक्षा दी जाएगी, जो गैंगस्टर के खिलाफ स्वतंत्र गवाह को कोर्ट के पेश होने के लिए प्रोत्साहित करेगा.
- इस एक्ट में धारा 19 ( 4 ) (ख) के तहत अपराधी को न्यायालय द्वारा जमानत पर तभी रिहा किया जायेगा. जब न्यायालय को यह युक्तियुक्त विश्वास हो जाते कि गिरफ्तार व्यक्ति अपराध का दोषी नहीं है और जमानत पर रहने के दौरान फिर से उसके द्वारा कोई अपराध करने की संभावना नहीं है.
- इस एक्ट में पुलिस रिमांड और न्यायिक रिमांड की सीमा बढ़ाई जा सकती है.
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