विक्रम मिश्र, लखनऊ. नए नगर आयुक्त ने राजधानी में अपना कार्यभार तो संभाल लिया है, लेकिन नगर निगम लखनऊ अभी भी अपनी ही चाल से चल रहा है. शहर में कूड़े का निस्तारण सबसे बड़ी चुनौति है. जिसके लिए अलग-अलग राज्यों की देसी विदेशी कंपनियों के साथ नगर निगम लखनऊ करार करता है और कूड़े के निस्तारण के लिए भारी भरकम बजट और फीस भी देता है. लेकिन राजधानी में साफ-सफाई तो राम भरोसे ही दिखाई देती है. चेन्नई की एक नई कंपनी ने लखनऊ शहर में कूड़ा निस्तारण की जिम्मेदारी क्या उठाई पूरी व्यवस्था पटरी से उतार दी.

डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन पिछले कई दिनों से बंद है. लोगों के घरों में कूड़ा सड़ना शुरू हो चुका है. लेकिन कूड़ा उठाने वाली गाड़ियां मोहल्लों और कॉलोनियों का रास्ता भूल गई हैं. लालबहादुर शास्त्री वार्ड-2 के पार्षद भूपेंद्र शर्मा कहते हैं कि जब से चेन्नई की रैमकी कंपनी को कूड़ा-करकट निस्तारण का ठेका मिला है सब कुछ अस्त-व्यस्त हो चुका है. सुबह-सुबह स्थानीय नागरिकों की भीड़ उनको सर्वोदय नगर कार्यालय में आकर घेर लेती है.
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बैरल नं-3, शक्तिनगर, नीलगिरी, कन्वेंशन सेंटर, मीना मार्कैट, ब्लॉक ऑफिस, आरईएस गोडाउन, बैरल नंबर -07 शक्ति नगर ए ब्लॉक इंदिरा नगर कुर्मांचल नगर मानस विहार और पूरे सर्वोदय नगर तक कूड़ा उठाने पूरी तरह से बंद है. पार्षद भूपेंद्र शर्मा का कहना है कि लोग कूड़ा बोरी में भरकर अब रात में इधर-उधर फेंक रहे हैं, जिससे गंदगी सड़कों के किनारे तक दिखने लगी है.
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