रोजगार का सृजन के लिए माली प्रशिक्षण सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है. जिसके तहत प्रतिभागियों को फुल, फल व सब्जी की नर्सरी तैयार करने की ट्रेनिंग दी जाती है. इससे वे पौधे तैयार कर स्वरोजगार कर सकते हैं. तकनीक के इस्तेमाल से वे और भी बेहतर तरीके से यह काम कर सकेंगे. हर क्षेत्र में लोगों को स्किल्ड होने की जरूरत है. राज्य कौशल विकास मिशन के तहत युवाओं को 420 घंटे का माली प्रशिक्षण देते है. इसमें रोजगार की काफी संभावनाएं बताई जा रही है.
खासकर पारंपरिक रूप से बागवानी के पेशे से जुड़े लोग इस प्रशिक्षण के बाद तकनीक आधारित बागवानी कर सकेंगे. इस प्रशिक्षण से युवा आत्मनिर्भर बन सकते हैं. वर्तमान समय मे बागवानी के क्षेत्र में आमदनी की संभावनाएं काफी बढ़ी है.
प्रशिक्षण इन्हें और भी पेशेवर बनाएगा
वर्तमान समय में फूलों से सजावट आदि का काम भी कमाई का बेहतर जरिया है. इससे अच्छी कमाई की जा सकती है. माली प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत बुकें और गजरा बनाना, वाहनों, स्टेज, गेट आदि की सजावट के पाठ्यक्रम भी है. इससे प्रतिभागी अपने उत्पादों का मूल्यवर्द्धन कर अतिरिक्त कमाई भी कर सकते हैं. माली के पेशे से जुड़े लोग यह काम कर भी रहे हैं. लेकिन यह प्रशिक्षण इन्हें और भी पेशेवर बनायेगा. ये साज-सज्जा का काम और भी बेहतर तरीके से कर सकेंगे.
क्या सिखाया जाता है
प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को क्यारी बनाने के तरीके सिखाई जाती है. क्यारी बनाने के दौरान क्या सावधानी बरतनी है यह भी बताते. ताकि पौधे बेहतर तरीके से विकसित हो सकें. इसके बाद प्रशिक्षुओं को उसमें बीज बोने का तरीका भी बताते है. बताया जाता है कि तकनीक आधारित काम करने से बेहतर परिणाम मिलता है.
प्रमाण पत्र से मिलेंगे नौकरी के अवसर
बागवानी के लिए मिट्टी की किस्म और उसके पोषण प्रबंधन की जानकारी दी जाती है. मिट्टी की किस्म और पोषण प्रबंधन भी बहुत जरूरी है. इसके अभाव में अपेक्षा के अनुसार उत्पाद नहीं मिल पाता है. प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षुओं की अधिगम क्षमता का मूल्यांकन भी होगा. मूल्यांकन के आधार पर ही इन्हें प्रमाणपत्र दिया जाएगा. इस प्रमाणपत्र से वे संबंधित विषय के अंतर्गत सरकारी या प्राइवेट सेक्टर में रोजगार भी प्राप्त कर सकते हैं.
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