पुरुषोत्तम पात्र,गरियाबंद। देवभोग पुलिस शुक्रवार को ऑनलाइन ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के दो शातिर ठग को बिलासपुर से गिरफ्तार किया है. नामी कंपनी हल्दीराम की फ्रेंचाइजी दिलाने के नाम पर ऑनलाइन ठगी की घटना को अंजाम देते थे. इन्हीं आरोपियों को धोखाधड़ी मामले में बिलासपुर पुलिस ने 26 दिन पहले जेल भेजा था, लेकिन जमाकर पर छूटने के बाद भागने की फिराक में थे. उससे पहले ही देवभोग पुलिस ने धर दबोचा.

देवभोग थाना प्रभारी विकास बघेल ने बताया कि आरोपी सागर कुमार (33 वर्ष) और संतन कुमार (23 वर्ष) बिहार के रहने वाले हैं. दोनों आरोपियों को बिलासपुर जेल इलाके से पुलिस गिरफ्तार किया गया है. उरमाल के व्यवसायी पवन जैन के शिकायत पर पुलिस ने 11 जुलाई 2020 को अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धारा 420 भादवी, 66( घ) आईटी एक्ट के तहत मामला पंजीबद्ध किया था. इस मामले में आरोपियों के संलिप्तता के सबूत मिलने पर इन्हें गिरफ्तार कर आज न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया है.

अधिकारी, रेप और धमकी: SDO बनने के बाद शादी से इंकार, दुष्कर्म की रिपोर्ट लिखवाने पर मिल रही धमकी, अब युवती लगा रही न्याय की गुहार 

दिल्ली से पकड़ लाई थी बिलासपुर पुलिस

बिलासपुर के तारबाहर पुलिस ने 16 अगस्त को दोनों आरोपियों को दिल्ली से पकड़ लाई थी. इस थाना क्षेत्र के व्यापारियों को ठगों ने नामी कंपनी हल्दीराम की फ्रेंचाइजी दिलाने के नाम पर ढाई लाख की ऑनलाइन ठगी की थी. बार-बार बदलते नंबर के बावजूद बिलासपुर पुलिस ने आरोपियों द्वारा इस्तेमाल मोबाइल का ईएमआई नंबर हासिल कर लिया. इसी के आधार पर ट्रेस कर इन्हें गिरफ्तार किया गया है.

बिहार भागने की फिराक में थे आरोपी

जबकि उरमाल में 5 लाख के ठगी के मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी ने आरोपियों को पकड़ने कोई पहल नहीं किया था. पूछताछ में आरोपियों ने तारबाहर पुलिस को बताया था कि वे ऐसी ऑनलाइन ठगी देवभोग और बस्तर में भी अंजाम दे चुके हैं. विभागीय लिंक के आधार पर देवभोग पुलिस जानकारी मिलते ही सक्रिय हो गई. आरोपी गुरुवार को बिलासपुर जेल से जमानत पर छूट कर बिहार भागने का प्लान बना रहे थे. तभी एएसआई खुमानसिंह महिलांगे के नेतृत्व में पुलिस की टीम ने दोनों को दबोच लिया.

रिटायर्ड अधिकारी के घर चोरी का खुलासा: सूने मकान से पार किया था सोने-चांदी का जेवरात, दो जिलों की पुलिस की मदद से 3 आरोपी अरेस्ट

3 दिन में मिल गया फ्रेंचाइजी का एप्रूवल

उरमाल निवासी पवन जैन ने हल्दीराम नमकीन की एजेंसी लेने ऑनलाइन सर्च किया. गूगल सर्च ने भी कंपनी की ओरिजिनल वेबसाइट के बजाए ठगों की तैयार की गई वेब पेज शो किया. जिसमें दिए ठगों के नंबर पर सम्पर्क करते ही पवन जैन फंस गया. बातचीत के तौर तरीके और फ्रेंचाइजी लेने की सारी प्रकिया के अलावा खाता नंबर, मेल आईडी और लेटर हेड सब कुछ पर हल्दीराम का जिक्र था. ब्रांड और रेट लिस्ट के अलावा महज 3 दिनों के भीतर मिले कंफर्मेशन लेटर भी हल्दी राम कंपनी के जैसे थे. कंपनी के ऑनर के डिजिटल साइन से भी शक नहीं हुआ. ठग के जिस नंबर से बात हो रही थी, उसके वाट्सअप डीपी पर भी हल्दी राम के ऑफिस का डीपी लगा था.

कब हुआ ठगे जाने का अहसास

ठग के कहने पर उसके दिए खाता नंबर में पवन जैन ने पहले 1 लाख 50 हजार 650 रुपए सिक्यूरिटी मनी आरटीजीएस किया. फिर 8 लाख के भेजे जाने वाले सामान के एवज में 4 लाख आरटीजीएस कराया. नियत तिथि में माल भेजने के बजाए पॉलिसी बदल कर और 4 लाख मांगा, तो पवन जैन ने उन खातों की असलियत जानने बैंक से संपर्क किया. जिसमें वह रकम आरटीजीएस करता था. पवन जैन को ठगी का अहसास तब हुआ, जब उसे पता चला की खाता हल्दीराम कंपनी के नाम से नहीं, बल्कि कोलकाता में रहने वाले एक मुसलमान व्यक्ति के नाम से था.

मुख्य आरोपी 12वीं पास

शातिर ठगों को पता था कि आरटीजीएस करने के लिए भरे जाने वाले फार्म में फर्म के नाम का कोई मायने नहीं रखता है. आईएफसी कोड और खाता नंबर मैच हुआ, तो रुपए ट्रांसफर हो जाता है. इसी तकनीकी कमजोरी का फायदा ठगों ने उठाया, फिर बिलासपुर, गरियाबंद और बस्तर जिले के व्यापारियों को हल्दीराम की फ्रेंचाइजी दिलाने ठगी की वारदात को अंजाम दिया. ताज्जुब की बात है कि मुख्य आरोपी केवल 12वीं पास है, जो कम्यूटर के ऑनलाइन ठग सिस्टम को आपरेट कर रहा था.

read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus