पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। गरियाबदं जिले के कदली मुड़ा पंचायतको तीन स्तरीय जाँच के बाद ओडीएफ घोषित किया गया था. जहां स्वीकृत 361 शौचालय में से 145 हितग्राहियों के शौचालय का निर्माण ही नहीं किया गया. शिकायत के बाद दबाव में इतना बढ़ा की 6 महीने जांच में लग गए. जनपद सीईओ ने कहा कि प्राथमिक रिपोर्ट में 17 लाख रुपए से ज्यादा की गड़बड़ी उजागर हुई है. आगे भी जांच जारी रहेगी.

कदली मुड़ा पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन के नियमों को ताक में रख कर पँचायत और अफसरों के सांठ-गांठ से जमकर धज्जियां उड़ाई गई है. पिछले कार्यकाल में ही तत्कालीन पंच उग्रसेन बीसी, डीकचन्द भोई, पद्मलता समेत 10 पंचों को गड़बड़ी की भनक लगी तो 12 दिसम्बर 2019 को इसकी लिखित शिकायत जनपद सीईओ के समक्ष किया था. 5 माह बाद जांच दल ने जनपद सीईओ एम एल मंडावी को जांच प्रतिवेदन सौंपा है. जिसमें बताया है कि 361 परिवार के लिए स्वीकृत शौचालय में से 145 शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है. इनके लिए स्वीकृत रूपये 17 लाख 40 हजार का आहरण सरपंच डिलेश्वर भोई और सचिव मदन नागेश द्वारा करना बताया गया है.

सीईओ एम एल मंडावी ने कहा कि अभी भी जांच बाकी है. भौतिक स्थिति की प्राथमिक जांच रिपोर्ट मे 17 लाख से ज्यादा की गड़बड़ी बताया गया है. तकनीकी भाग की जांच हो रहा है. पड़ताल किया जा रहा है कि जिओ टेकिंग, भौतिक सत्यापन, ऑनलाइन डेटा एंट्री और परिवार आईडी क्रिएट कैसे व किसने किया. जिससे गड़बड़ी सामने नहीं आ सकी.

बता दें कि 40 नाम ऐसे मिले जो गाँव में कभी रहे ही नहीं है. जांच दल ने सूची में 75 नाम ऐसे पाए जिनके घर एक शौचालय निर्माण कराकर दो लोगों के नाम दर्शाए गए है. वहीं 65 हितग्राही गांव में है जिनका शौचालय अभी तक निर्माण नहीं हुआ है. कुल मिलाकर ओडीएफ योजना मे जमकर घोटाला किया गया है.

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