जयपुर. राजस्थान में गहलोत सरकार के चार साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित चिंतन शिविर में सरकार की उपलब्धियों के साथ हाल में सामने आए वरिष्ठ शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक मामला छाया रहा। एक के बाद एक पेपर लीक होने से सरकार की जो छवि खराब हुई है, उस पर कैसे पार पाई जाए। राज्य में पनप रहे शिक्षा माफिया को रोकने के लिए इसी सत्र में एक बिल लाने का निर्णय किया गया।
बिल लाए जाने पर हुआ विचार
ओटीएस में सोमवार को सुबह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ दो दिवसीय चिंतन शिविर में मौजूद थे। बैठक में सबसे पहले केबिनेट और मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित कर आगामी विधानसभा में कुछ नए बिल लाए जाने पर मुहर लगाई गई। शिक्षा माफियाओं के खिलाफ और निजी शिक्षण खोलने वाले संस्थानों को लेकर एक अलग से एक्ट लाने, स्वास्थ्य का अधिकार और पुरानी सोसाइटियों के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने संबंधी कुछ बिल लाए जाने पर विचार किया गया।
शिविर में नहीं आए मंत्री
पेपर लीक प्रकरण को लेकर शिविर में गंभीर चिंतन हुआ। प्रदेश में शिक्षा माफिया के पनपने को रोकने की जरूरत बताई गई। तय किया गया कि एक ऐसा एक्ट लाया जाए जो प्राइवेट कोचिंग में पढऩे एवं पढ़ाने वालों के हितों का संरक्षण करे। बच्चों के आत्महत्या करने, मनमानी फीस वसूलने आदि रोकने के लिए बिल में स्पष्ट प्रावधान किए जाएंगे। साथ ही इंजीनियरिंग, मेडिकल या अन्य निजी स्कूल, कॉलेजों एवं तकनीकी कॉलेजों में पढऩे वालों के लिए भी एक अलग से कानून लाया जाएगा। चिंतन शिविर में पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह एवं सैनिक कल्याण मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा भी शिविर में नहीं आए। उद्योग मंत्री शकुंतला रावत भी अपने ससुर की मृत्यु होने के कारण शिविर में नहीं थी।