रायपुर। छत्तीसगढ़ में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी का किस्सा काफी पुराना है, लेकिन किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचने की वजह से यह मुद्दा हमेशा तरो-ताजा रहता है. छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन सत्तापक्ष के ही विधायक अजय चंद्राकर ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए हुई नियुक्तियों की जांच और उन पर हुई कार्रवाई पर घेर दिया. इसे भी पढ़ें : सावन की झड़ी से बढ़ा बांधों का जलस्तर : 40 फीसदी से ज्यादा भर चुका गंगरेल डैम, जानिए अन्य बांधों में कितना है पानी…
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने लोक स्वास्थ्य मंत्री से सवाल किया कि छत्तीसगढ़ शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के संबंध में कितनी शिकायतें, कब-कब, किनके-किनके विरूद्ध प्राप्त हुई? इन शिकायत के आधार पर विभाग ने क्या-क्या कार्यवाही की?
अजय चंद्राकर ने सवाल किया कि क्या उनके खिलाफ जांच समिति बनाई गई थी? समिति ने किनके-किनके खिलाफ, कब-कब छानबीन/जांच की? छानबीन या जांच करने पर क्या रिपोर्ट प्राप्त हुई तथा इस संबंध में कितने बार टाइम लिमिट की बैठक की गई और उस बैठक में क्या-क्या निर्णय लिए गए? कब तक जांच पूर्ण कर ली जाएगी? जांच समिति व टाइम लिमिट रिपोर्ट की प्रति सहित बताएं?
लोक स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के संबंध में कुल 4 शिकायतें – सहायक प्राध्यापक वर्षा गुर्देकर, प्रदर्शक वीणा डेविड, सह प्राध्यापक नीलम पॉल और सह राजनांदगांव शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय में पदस्थ प्राध्यापक ममता नायक के विरूद्ध प्राप्त हुई. प्राप्त शिकायतों के आधार पर उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति एवं शासन द्वारा जाँच की कार्यवाही की गई.
मंत्री ने बताया कि उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने ममता नायक और नीलम पाल की जाति प्रमाण पत्र की वैधानिकता प्रमाणिक पाई. वहीं वर्षा गुर्देकर और वीणा डेविड के जाति प्रमाण पत्र के संबंध में जांच प्रक्रियाधीन है. जांच अधिकारी ने नीलम पॉल के अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित होकर अनुसूचित जनजाति वर्ग से पदोन्नति का लाभ लिए जाने के संबंध में रिव्यू डीपीसी की अनुशंसा की है. रिव्यू डीपीसी के लिए कार्यवाही प्रक्रियाधीन है.
इसके साथ भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने सवाल किया कि प्राप्त शिकायत के परिपेक्ष्य में किस-किस अधिकारी/कर्मचारियों को कब-कब, किन-किन पदों पर पदोन्नति दी गई? क्या जांच के दौरान पदोन्नति दी जा सकती है? यदि हां, तो किस नियम-निर्देश पर? यदि नहीं तो इन्हें किस आधार पर, किस कैटेगिरी के द्वारा पदोन्नति दी गई?
मंत्री ने बताया कि वर्षा गुर्देकर व नीलम पॉल को वर्ष 2008 में स्टाफ नर्स से प्रदर्शक, वर्ष 2015 में प्रदर्शक से सहायक प्राध्यापक के पद पर पदोन्नति दी गई. वीणा डेविड को वर्ष 2009 में स्टाफ नर्स से प्रदर्शक तथा वर्ष 2015 में प्रदर्शक से सहायक प्राध्यापक पद पर पदोन्नति दी गई, किन्तु वीणा डेविड द्वारा सहायक प्राध्यापक के पद पर पदोन्नति नहीं ली गई.
लोक स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि नीलम पॉल को वर्ष 2023 में सहायक प्राध्यापक से सह प्राध्यापक के पद पर पदोन्नति दी गई. ममता नायक को वर्ष 2009 में स्टाफ नर्स से प्रदर्शक, वर्ष 2015 में प्रदर्शक से सहायक प्राध्यापक एवं वर्ष 2023 में सहायक प्राध्यापक से सह प्राध्यापक के पद पर पदोन्नति दी गई. मंत्री ने स्पष्ट किया कि जांच के दौरान पदोन्नति दी जा सकती है.
18 बार बैठक के बाद भी नहीं हुआ फैसला
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने विषय पर मीडिया से चर्चा में कहा कि आज केवल मैने एक विभाग का पूछा है. चार कर्मचारियों को कब-कब नियुक्ति दी गई. किस जाति के आधार पर नियुक्ति दी गई, किस आधार पर प्रमोशन दिया गया. जब मैंने पूछा कि छानबीन समिति है. एंपावर्ड कमिटी में इसकी बैठकें कब होती है? मुझे हाउस के अंदर संशोधन दे दिया गया कि एंपावर्ड कमिटी की बैठकें हो रही है. 18 बार बैठक हुई, लेकिन अब तक निराकरण नहीं हुआ.
यह एक विभाग का है. अगली बार इस तरह के अन्य विभागों के विषय भी आएंगे.
पात्र लोगों के अधिकारों का नहीं हो हनन
भाजपा विधायक ने कहा कि आग्रह करेंगे कि एंपावर्ड कमिटी की बैठकें नियमित हों, और ऐसे प्रकरणों का नियमित निराकरण हो. नियुक्ति अनुसूचित जाति जनजाति की थी. भर्ती एक जाति में और प्रमोशन पिछड़ा वर्ग में. एक ही व्यक्ति की तीन जाति बताई गई. जाति प्रमाण पत्र ईसाई धर्म का है. जिसके खिलाफ मामला है, उसे प्रमोशन नहीं दिया जा सकता, मगर उसे भी प्रमोशन दिया गया है. फर्जी सर्टिफिकेट पर प्रमोशन दिया गया. फिर छानबीन समिति की 18 बार बैठक हो गई और उसमें कोई निर्णय नहीं ले रहा है. पूरे मामले पर कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि पात्र और योग्य लोगों के अधिकारों का हनन नहीं हो.
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