हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष होली दहन फाल्गुन पूर्णिमा एवं रंगो का पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. इस वर्ष 08 मार्च बुधवार को रंगवाली होली खेली जाएगी. बसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने के लिए रंगो की होली मनाते हैं. बसंत ऋतु में प्रकृति में फैली रंगों की छटा को ही रंगों से खेलकर वसंत उत्सव होली के रूप में दर्शाया जाता है. रंगवाली होली से एक दिन पहले होलिका दहन करने की परंपरा है.

फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है. लोगों के जीवन को रंगीन बनाने के कारण इसे आमतौर पर रंग महोत्सव कहा गया है. यह लोगो के बीच एकता और प्यार लाता है. इसे प्यार का त्यौहार भी कहा जाता है. यह एक पारंपरिक और सांस्कृतिक हिंदू त्यौहार है, न केवल मन को तरोताजा करता है बल्कि रिश्तों को भी करता है. यह ऐसा त्यौहार है जिसे लोग अपने परिवार के सदस्यो और रिश्तेदारों के साथ प्यार और स्नेह वितरित करके मनातें हैं जो उनके रिश्तों को भी मजबूती प्रदान करता हैं.

यह एक ऐसा त्यौहार हैं जो लोगों को उनके पुराने बुरे व्यवहार को भुला कर रिश्तों की एक डोर मे बॉधता हैं. साथ कि सभी बुरी आदतें और बुरी शक्तियॉ होलिका के साथ जल गयी और नई ऊर्जा और अच्छी आदतों से अपने जीवन में उपलब्धियों को प्राप्त करेंगें. अगली सुबह उनके लिये बहुत खुशियॉ लेकर आती है.

राशि के अनुसार खेलें होली

होली रंगों का हमारे जीवन में विशेष स्‍थान होता है. ये जितना सकारात्‍मक प्रभाव डालते हैं, उतना ही नकारात्‍मक भी. इसल‍िए ज्‍योतिषशास्‍त्र हो या वास्‍तुशास्‍त्र हर जगह रंगों का चयन बहुत ही सोच-समझकर करने के लिए बताया गया है. अगर अपनी राशि अनुसार रंगों का प्रयोग किया जाए तो ग्रह दोष अपने आप ही खत्‍म होने लगते हैं.