दिल्ली विधानसभा में इन दिनों एक नए मुद्दे पर बहस और बवाल दोनों जारी है. विधानसभा सत्र के दौरान परिसर में ‘फांसी घर’ के अस्तित्व को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) द्वारा किए गए दावे अब विवादों में घिर गए हैं. दिल्ली विधानसभा ने हाईकोर्ट को बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया विशेषाधिकार समिति के सामने पेश नहीं हो रहे हैं. विधानसभा सचिवालय की ओर से कहा गया कि दोनों नेताओं को कई बार समन भेजे गए, लेकिन वे एक बार भी उपस्थित नहीं हुए. अब इस पूरे मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को तय की गई है.

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान विधानसभा सचिवालय की तरफ से पेश वकील ने बताया कि केजरीवाल और सिसोदिया हर बार यही कहकर पेश होने से बचते रहे कि उनकी याचिका कोर्ट में लंबित है. सचिवालय ने इस तर्क का विरोध करते हुए कहा कि समिति ने उन्हें सिर्फ जांच में सहयोग करने के लिए बुलाया था, ताकि विधानसभा परिसर में बनाए गए “फांसी घर” की सच्चाई सामने आ सके. सचिवालय की दलील है कि हाईकोर्ट में याचिका लंबित होने का मतलब यह नहीं है कि नेता समिति के सामने पेश न हों.

क्या है पूरा फांसी घर विवाद?

यह मामला अगस्त 2020 से जुड़ा है, जब आम आदमी पार्टी की सरकार ने विधानसभा परिसर में एक संरचना को “ब्रिटिश काल का फांसी घर” बताते हुए उद्घाटन किया था. उस समय इसे ऐतिहासिक धरोहर बताकर प्रचारित किया गया. लेकिन बीजेपी का दावा है कि यह फांसी घर नहीं बल्कि एक पुराना टिफिन रूम था, जिसे गलत तरीके से फांसी घर बताकर जनता को गलत जानकारी दी गई. इतना ही नहीं, बीजेपी का आरोप है कि उसके रेनोवेशन पर सरकारी धन का गलत उपयोग किया गया.

बता दें कि, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बुधवार (6 अगस्त) को इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए मामले की जांच की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि इस कथित ‘फांसी घर’ के जीर्णोद्धार पर खर्च हुए एक-एक रुपये की वसूली होनी चाहिए, क्योंकि यह जनता को गुमराह करने की कोशिश थी. इसी मुद्दे की जांच के लिए बीजेपी विधायक प्रद्युम्न सिंह की अध्यक्षता में एक विशेषाधिकार समिति बनाई गई है. समिति 13 नवंबर को इस मामले पर आगे की जांच और सत्यापन के लिए बैठक कर चुकी है.

‘समिति की कार्यवाही गलत’

दूसरी तरफ केजरीवाल और सिसोदिया ने विशेषाधिकार समिति के समन को ही हाईकोर्ट में चुनौती दी है. उनका कहना है कि समिति की कार्यवाही किसी शिकायत, रिपोर्ट या विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर आधारित नहीं है. ऐसे में समिति का इस तरह का समन जारी करना अधिकार क्षेत्र से बाहर है. उन्होंने कोर्ट में दलील दी है कि समिति की कार्रवाई उनके संविधानिक अधिकारों आर्टिकल 14, 19 और 21 का उल्लंघन करती है.

हाईकोर्ट ने पहले ही टिप्पणी की थी कि उनकी याचिका पहली नजर में सुनवाई योग्य नहीं लगती, लेकिन फिर भी कोर्ट ने मामले पर विस्तृत सुनवाई के लिए 12 दिसंबर की तारीख तय कर दी है. फिलहाल दोनों पक्षों की दलीलें हाईकोर्ट में चल रही हैं. विधानसभा समिति ने जांच आगे बढ़ाने का इरादा जताया है, जबकि केजरीवाल और सिसोदिया इसे अवैध बता रहे हैं. 12 दिसंबर की सुनवाई इस पूरे विवाद में अहम साबित हो सकती है, क्योंकि कोर्ट यह तय करेगा कि क्या समिति की कार्यवाही जारी रह सकती है या नहीं.

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m