कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। घाटीगांव पंचायत आदिवासी बाहुल्य पंचायत है। जहां स्थित सीनियर कन्या छात्रावास की 9वीं कक्षा में पढ़ने वाली सहरिया आदिवासी छात्राओं ने हॉस्टल अधीक्षिका पर जातिगत भेदभाव करने के आरोप लगाए हैं। छात्राओं ने मामले की शिकायत ग्वालियर कलेक्टर से की है। वहीं हॉस्टल अधीक्षिका ने सभी आरोपों को झूठा बताया है और फोन जब्त करने पर उनके खिलाफ झूठी शिकायत की बात कही है।

छात्राओं ने हॉस्टल के बाहर कपड़े फेंकने के लगाए आरोप

दरअसल, आदिवासी सहरिया समाज की छात्राओं के लिए घाटीगांव में छात्रावास बनाया गया है। जहाँ रहकर नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली चार छात्राओ ने हॉस्टल अधीक्षिका ममता नागर पर आरोप लगाया है कि उन्होंने छात्राओं के कपड़े और बैग बिना किसी कारण छात्रावास के बाहर फेंक दिए। साथ ही छात्रावास में अंदर आने पर भी रोक लगा दी। जिसके चलते मजबूरन उन्हें 12 किलोमीटर दूर जंगल के रास्ते अपने घर पहुंचना पड़ा। 

परिजनों के साथ कलेक्ट्रेट में की हॉस्टल अधीक्षिका की शिकायत

छात्राओं ने परिजनों के साथ कलेक्ट्रेट मे मामले की लिखित शिकायत करते हुए आरोप लगाया है कि हॉस्टल अधीक्षिका ममता नागर उनके साथ जातिगत भेदभाव करती है। साथ ही उन्हें मानसिक रूप से भी प्रताड़ित करती है। मामले की शिकायत मिलने पर ज्वाइंट कलेक्टर ने अधीक्षिका से शिकायत से जुड़ी जानकारी मांगी है।

अधीक्षिका ने झूठी शिकायत की कही बात

वहीं ममता नागर से लल्लूराम डॉट कॉम से फोन पर हुई चर्चा में बताया कि ‘छात्राएं छात्रावास के अंदर मोबाइल फोन का उपयोग कर रही थीं जो नियमों के तहत पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसे लेकर चारों छात्राओं से मोबाइल फोन जब्त किए गए थे और इसकी सूचना उनके परिजनों को भी दी गई थी। उन्हें भविष्य में हॉस्टल के नियम न तोड़ने की हिदायत दी गई थी। जिसके बाद वह किसी के बहकावे में आकर झूठी शिकायत करने कलेक्ट्रेट पहुंची है।’

तथ्य सामने आने पर ज्वाइंट कलेक्टर ने कार्रवाई की कही बात

बहरहाल मामले की शिकायत और हॉस्टल अधीक्षिका ममता नागर की दी गई जानकारी के आधार पर ज्वाइंट कलेक्टर सुरेश बरादिया ने मामले की जानकारी सबंधित अधिकारी से मांगी है। जिसके बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर कार्रवाई तय होगी।

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