नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को उत्तरी दिल्ली के रोहिणी में एक आश्रम की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई. ये आश्रम एक बाबा चलाता है, जो कई लड़कियों को जानवरों जैसी बदतर स्थिति में वहां रखे हुए है. कार्यवाहक चीफ जस्टिस विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की खंडपीठ ने संस्था को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. घटना प्रकाश में आने के बाद बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित द्वारा संचालित ‘आध्यात्मिक विश्व विद्यालय’ में एक उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति द्वारा छापेमारी की गई. निरीक्षण के दौरान दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को भी पुलिस के साथ जाने को कहा गया.
अमानवीय परिस्थितियों में कैद थीं महिलाएं और लड़कियां
समिति ने अदालत को बताया कि लड़कियों और महिलाओं को आश्रम में जानवरों जैसी स्थिति में रखा गया था, यहां तक कि नहाने के लिए भी कोई पर्दा नहीं था और वहां से लगभग 40 महिलाओं को बचाया गया. 2018 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘आध्यात्मिक विश्वविद्यालय’ को यूनिवर्सिटी के रूप में घोषित करने से रोक दिया था और सीबीआई को स्वयंभू बाबा का पता लगाने का निर्देश दिया था. 20 दिसंबर 2017 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई को आश्रम में लड़कियों और महिलाओं के कैद करके रखे जाने की जांच करने का निर्देश दिया. महिलाओं और लड़कियों को कांटेदार तारों से घिरे किले में धातु के दरवाजों के पीछे अमानवीय परिस्थितियों में रखा गया था.
सीबीआई ने बाबा वीरेंद्र दीक्षित के खिलाफ किए थे केस दर्ज
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने बाबा वीरेंद्र दीक्षित के खिलाफ कई महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को अपने आश्रम में बंधक बनाने के आरोप में तीन मामले दर्ज किए थे. मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट का विचार था कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को इस जगह का ध्यान रखना चाहिए. पीठ ने टिप्पणी की दिल्ली जैसे शहर में दिन के उजाले में आप इस तरह की चीजें देख रहे हैं, हम इसे पढ़कर चकित हैं. विस्तृत सुनवाई के बाद मामले को 21 अप्रैल के लिए एनजीओ फाउंडेशन फॉर सोशल एम्पावरमेंट द्वारा दायर याचिका के साथ जोड़ दिया गया.
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