Go First Airline NCLT:  एनसीएलटी चार मई को गो फर्स्ट एयरलाइंस के दिवालियापन मामले की सुनवाई करेगा. ऐसे में एयरलाइंस के भविष्य पर बड़े फैसले की उम्मीद की जा रही है. तेल कंपनियों का बकाया न चुका पाने के अलावा गोफर्स्ट एयरलाइन पर कई बैंकों का 6521 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है. कंपनी ने दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिए दो मई को एनसीएलटी में आवेदन किया था.

भारत की दिवालियापन अदालत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) कल यानी 4 मई को GoFirst की दिवालियापन याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गई है. वाडिया समूह के स्वामित्व वाले गोफर्स्ट ने मंगलवार को कहा कि उसने दिवाला समाधान के लिए आवेदन किया है. कंपनी ने कहा था कि उसके विमानों में इस्तेमाल होने वाले अमेरिकी कंपनी प्रैट एंड व्हिटनी के इंजनों की आपूर्ति में देरी के कारण 50 फीसदी विमानों का परिचालन बंद हो गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, GoFirst पर बैंकों और लेनदारों का 6521 करोड़ से ज्यादा का कर्ज है. दिवालियापन फाइलिंग में गोफर्स्ट के वित्तीय लेनदारों में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया लिमिटेड, बैंक ऑफ बड़ौदा लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड, एक्सिस बैंक लिमिटेड और ड्यूश बैंक शामिल हैं. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा के कंसोर्टियम लोन के तहत एयरलाइन कंपनी पर 1,300 करोड़ रुपये का कर्ज है. जबकि, आईडीबीआई बैंक पर 50 करोड़ रुपए का छोटा कर्ज है.

GoFirst Airline ने संकेत दिया है कि दिवालियापन दाखिल करने की प्रक्रिया एयरलाइन को बेचने के लिए नहीं है. वहीं, कंपनी के प्रमोटर्स वाडिया ग्रुप के एयरलाइन से बाहर निकलने का सवाल ही नहीं उठता. गोफर्स्ट एयरलाइन के सीईओ कौशिक खोना ने कहा कि हम सभी कर्मचारियों के लिए पूरी सावधानी, चिंता के साथ स्थिति को नेविगेट करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं.

सीईओ ने आज कर्मचारियों को सूचित किया कि प्रैट एंड व्हिटनी इंजनों के साथ लगातार समस्याओं से एयरलाइन अपंग हो गई है और घटते बेड़े के आकार के साथ GoFirst हितधारकों को भुगतान करने के लिए राजस्व उत्पन्न करने में असमर्थ है.