कांकेर. जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक के कन्या छात्रावास में ‘गोबर संस्कार’ दिया जाता है. पढ़ाई-लिखाई के लिए पहुंची बच्चियों को सफाई के नाम पर यह संस्कार सिखाया जाता है. अगर आप इस पर भी नहीं समझें तो जरा तफसील से समझ लिजिए.
असल में, बांदे में छुट्टी का दिन रविवार सुबह प्री मैट्रिक कन्या छात्रावास में आदिवासी इलाकों से पढ़ाई-लिखाई के लिए आईं आदिवासी समुदाय की बेटियों को हॉस्टल अधीक्षिका चेतना भास्कर गोबर बीनने के लिए भेजा था. उन्होंने बताया कि हॉस्टल के बच्चों को सफाई व्यवस्था बनाए रखने के लिए ‘गोबर संस्कार’ दिया जाता है. मीडिया को समझाने वाले अंदाज में अधीक्षिका ने कहा कि सिर्फ आज ही ‘छुट्टी का दिन’ रविवार होने पर गोबर बीनने के लिए भेज दिया गया.
पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्राओं से गोबर बिनवाने वाली अधीक्षिका को जब अपनी गलती का अहसास हुआ तो यह कहते हुए सफाई देने लगीं कि लड़कियों को आंगन की गोबर लिपाई का काम सिखाया जा रहा है. बता दें कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से अभिभावकों ने पढ़ाई-लिखाई के नाम पर बच्चों को हॉस्टल में भर्ती कराया है. उसके बाद भी हॉस्टल से अकेले ही बच्चों को गोबर लेने भेज दिया गया, और बालिकाओं की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे छोड़ दिया गया.