पन्ना, नीलमराज शर्मा। क्या आपने कभी सुना है कि दुनिया के पालनहार भगवान खुद भी कभी बीमार पड़ जाते हैं. सुनकर भले ही अजीब लग रहा होगा, लेकिन भगवान बीमार भी पड़ते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं भगवान जगन्नाथ स्वामी की, जो आज से 15 दिनों के लिए लू लगने से बीमार हो गए हैं. अब 15 दिनों के लिए भगवान जगन्नाथ स्वामी मंदिर के पट बंद कर दिए गए हैं. पुरी की तर्ज पर मंदिरों की नगरी पन्ना में भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा का कार्यक्रम 150 वर्षों से ज्यादा समय से होता चला आ रहा है. पन्ना में बुधवार को भगवान जगन्नाथ को स्नान कराया गया.

ये है बीमार होने की कहानी

मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में भगवान जगन्नाथ स्वामी का प्राचीन मंदिर है. यहां भगवान जगन्नाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा एवं भाई बलभद्र के साथ विराजमान हैं. मंदिरों की नगरी पन्ना में भगवान जगन्नाथ स्वामी जी मंदिर में रथयात्रा का कार्यक्रम बड़े धूमधाम हर्षोल्लास के साथ 150 वर्ष पहले से मनाने की परंपरा चली आ रही है, लेकिन रथयात्रा के पहले भगवान को लू लग जाने से बीमार पड़ जाते हैं. भगवान जगन्नाथ स्वामी जी को धूप में स्नान कराने से लू लग जाती है. जिसके चलते वे बीमार हो गए हैं. भगवान जगन्नाथ स्वामी मंदिर में आज के दिन सुबह राज परिवार की उपस्थिति में भगवान के स्नान यात्रा की रस्म अदायगी की जाती है. लेकिन इस वर्ष राज परिवार के सदस्य किसी कारणवश नहीं उपस्थित हो पाए. इसी के साथ ऐतिहासिक रथ यात्रा महोत्सव का आगाज भी हो जाता है.

भक्त भगवान के ठीक होने के लिए करते हैंं प्रार्थना

बता दें कि बीमार भगवान को ठीक करने के लिए भक्त प्रार्थना करते हैं. सबसे पहले भगवान को मंदिर के गर्भगृह से बाहर लाया जाता है. यहां वैदिक मंत्रोच्चार के साथ औषधीय जल से भगवान को स्नान कराया जाता है. इसी दौरान लू लगने से भगवान बीमार पड़ गए. इससे उनकी दिनचर्या और भोजन व्यवस्था भी बदल दी जाती है. ठीक होने तक उन्हें प्रतिदिन वैद्य द्वारा दवा देने की परंपरा भी निभाई जाती है. हालांकि इस दौरान मंदिर के कपाट भक्तों के लिए बंद रहेंगे. इसके बाद 12 जुलाई को रथयात्रा निकाली जाएगी. प्रथम दिवस रथ पन्ना के लखूरनबाग में विश्राम करेंगे. दूसरे दिन 13 जुलाई को लखूरन से चौपरा व 14 जुलाई को चौपरा से जनकपुर मंदिर तक की यात्रा जाएगी. जनकपुर पहुंचने पर भगवान का टीकाकरण किया जाएगा. और कोरोना काल के चलते मंदिर में कोविड जांच के बाद श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया है. सीमित श्रद्धालुओं व पन्ना कलेक्टर, मंदिर पुजारियों की मौजूदगी में आज कार्यक्रम सम्पूर्ण किया गया है.

क्या है इतिहास

जानकारी के अनुसार वर्ष 1816 में तत्कालीन पन्ना नरेश किशोर सिंह जू देव पुरी से भगवान जगन्नाथ की प्रतिमाएं पन्ना लेकर आए थे. राजा के साथ कई और लोग भी गए थे. प्रतिमा को रथ से पन्ना लाया गया था. पन्ना नरेश रथ के पीछे-पीछे पैदल चलकर आए थे. प्रतिमा को लाने में चार माह का समय लगा था. भगवान के लिए भव्य मंदिर बनाया गया था. जगन्नाथ स्वामी मंदिर के पुजारी राकेश गोस्वामी बताते हैं कि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के 36 वर्ष बाद पन्ना में भी आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया को जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकालने की शुरुआत हुई. बीते 168 वर्षों से रथयात्रा निकालने का सिलसिला यहां अनवरत चला आ रहा है. इस रथ यात्रा में हजारों की भीड़ के साथ घोड़े-हाथी, ऊंट की सवारी निकलती है, लेकिन कोरोना काल के चलते कोरोना गाइडलाइंस के अनुसार रथयात्रा का आयोजन किया जाएगा.

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