रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी विकास कार्यक्रम, गोधन न्याय योजना और गांवों के गौठानों में संचालित आयमूलक गतिविधियों की चर्चा राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश में हो रही है. यह दोनों योजनाएं राज्य में ग्रामीणों, किसानों और महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो रही है. गोधन न्याय योजना से पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ पशुपालकों को मिलने वाले सीधे लाभ और महिलाओं के स्वावलंबन ने सभी का ध्यान खीचा है. गांवों में निर्मित गौठान आजीविका के महत्वपूर्ण केन्द्र बन गए हैं. गौठानों में महिला समूहों द्वारा संचालित आयमूलक गतिविधियों से होने वाले लाभ से महिलाओं में एक नया आत्मविश्वास जगा है.
धमतरी और दुर्ग में किया भ्रमण
गोधन न्याय योजना, गौठानों की व्यवस्था और गोबर-धन परियोजना का अवलोकन-अध्ययन करने के लिए राजस्थान के 12 भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों (आईएएस) की टीम तीन दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ पहुंची है. उन्होंने राज्य के कृषि विभाग के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात की. इसके साथ ही धमतरी और दुर्ग जिले के गांवों का दौरा कर गौठानों, गोधन न्याय योजना एवं गोबर-धन परियोजनाओं अवलोकन-भ्रमण किया. उन्होंने इस दौरान ग्रामीणों, महिला स्व-सहायता समूहों की महिलाओं और गौठान समितियों के सदस्यों से भेंट-मुलाकात कर गोधन न्याय योजना, गौठान और गोबर-धन परियोजना के क्रियान्वयन के संबंध में विस्तार से चर्चा की.
ये अधिकारी पहुंचे हैं छत्तीसगढ़
राजस्थान के अधिकारियों की टीम ने छत्तीसगढ़ राज्य में ग्रामीणों, किसानों साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए इन योजनाओं को उपयोगी और प्रभावी बताया. राजस्थान से आए अधिकारियों में सचिव पंचायत राज मंजू राजपाल, निदेशक स्वच्छ भारत मिशन विश्वमोहन शर्मा, जिला पंचायतों के सीईओ डॉ. अंजली राजोरिया, इन्द्रजीत यादव, पूजा कुमारी पार्थ, जसमीत सिंह संधू, श्रीनिधि बी.टी., श्वेता चौहान, गौरव सैनी, डॉ. सोम्या झा, प्रभारी अधिकारी एसबीएम ग्रामीण, पराग चौधरी और राज्य नोडल अधिकारी गोबरधन परियोजना विजय कुमार शर्मा शामिल थे.
क्रियान्वयन के बारे में विस्तार से ली जानकारी
राजस्थान के अधिकारियों की टीम के रायपुर पहुंचने के बाद महानदी मंत्रालय नवा रायपुर में आयोजित विशेष कार्यक्रम में कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों में मंत्रालय के समिति कक्ष में सुराजी गांव योजना के नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी कार्यक्रम, गोधन न्याय योजना के उद्देश्य और क्रियान्वयन के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इसके बाद अधिकारियों की टीम धमतरी जिले के भटगांव के गोकुलधाम गौठान पहुंचकर वहां गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट के उत्पादन प्रक्रिया, छनाई एवं पैकिंग राशि का हस्तांतरण, शुद्ध लाभ, वहां पर आने वाले पशुओं के संबंध महिला स्व-सहायता समूह एवं गौठान समिति के सदस्यों से विस्तार से चर्चा की. टीम ने तत्पश्चात सप्तर्षि हर्बल वाटिका में मॉ भवानी स्व-सहायता समूह से लेमन ग्रास की खेती, तेल आसवन एवं विक्रय और शारदा समूह द्वारा संचालित दीदी की रसोई में बनाए जाने वाले छत्तीसगढ़ी पकवान के बारे में जानकर महिलाओं के आजीविका संवर्धन की जानकारी ली. ग्राम कसवाही के गोठान में गोबर-धन योजना अंतर्गत स्थापित 10 घनमीटर के गोबर गैस संयंत्र एवं उससे उत्पादित गैस का ईंधन में उपयोग करने वाले 5 परिवार के महिलाओं से चर्चा की. राजस्थान के अधिकारियों के दल ने छत्तीसगढ़ राज्य में संचालित गौठान एवं गोधन न्याय योजना के प्रभावी क्रियान्वयन और इससे लोगों को हो रहे लाभ की सराहना की.
गौठान और समूहों का किया अवलोकन
अधिकारियों की टीम ने दुर्ग जिले के ग्राम सिकोला एवं ग्राम केसरा के गोठान पहुंचकर वहां पशुओं के चारा-पानी के प्रबंध, पशुओं की जांच एवं चिकित्सा आदि की सुविधाओं के साथ-साथ गौठान में चारा रखने के शेड, अंजोला टैंक एवं गौठान में आजीविका के लिए महिला स्व-सहायता समूह द्वारा संचालित आर्थिक गतिविधियों का भी मुआयना किया. अधिकारियों की टीम ने ग्राम पंचायत सिकोला के बाड़ी का भी अवलोकन किया और महिला स्व-सहायता समूह से चर्चा की गई. अधिकारियों की टीम ने अभिसरण अंतर्गत किये जा रहे इन कार्याें की सराहना की और राजस्थान में भी इस योजना के क्रियान्वयन की बात कही. ग्राम पंचायत केसरा में विकसित किये गये 25 एकड़ बाड़ी के अवलोकन के दौरान अधिकारियों की टीम ने छत्तीसगढ़ राज्य के इस प्रयोग की सराहना की. उन्होंने कहा कि शासन की विभिन्न योजनाओं के अभिसरण से इस तरह की व्यवस्था स्थापित किया जाना अत्यंत सराहनीय प्रयास है.
राजस्थान में करेंगे अनुकरण
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) से गोबर-धन योजना अंतर्गत ग्राम पंचायत सिकोला में निर्मित 10 घन मीटर क्षमता वाले सामुदायिक मॉडल के गोबरगैस संयंत्र के संचालन, संधारण के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई. इस गोबर संयंत्र के रख-रखाव की जिम्मेदारी ग्रामीण हितग्राहियों स्वयं कर रहे हैं. संयंत्र से निकलने वाले स्लरी का उपयोग जैविक खाद के रूप में किया जा रहा है. राजस्थान से आये अधिकारियों के लिये जिला दुर्ग में अभिसरण अंतर्गत किये गये कार्यां का एक्सपोजर विजिट एक नया अनुभव रहा. उन्होंने जिला दुर्ग में किये गये कार्याें की सराहना की. राजस्थान में भी इनका अनुकरण करने की बात कही गई.
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